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विदेश से MBBS करने के इच्छुक छात्रों के लिए NMC ने जारी की अहम एडवाइजरी

विदेश से MBBS करने के इच्छुक छात्रों के लिए NMC ने जारी की अहम एडवाइजरी

  • MBBS कोर्स की अवधि कम से कम 4.5 साल होनी चाहिए
  • इसके साथ संस्थान में 12 महीने की इंटर्नशिप भी अनिवार्य है
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NMC Issues Advisory For MBBS From Abroad: नेशनल मेडिकल कमिशन (NMC) ने उन भारतीय छात्रों के लिए एक नई और महत्वपूर्ण एडवाइजरी जारी की है जो विदेश में मेडिकल कॉलेजों या विश्वविद्यालयों से MBBS डिग्री करने की योजना बना रहे हैं। NMC ने छात्रों को आगाह किया है कि वे केवल उन संस्थानों का चयन करें जो फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट लाइसेंशिएट्स (FMGL) रेगुलेशन्स 2021 की शर्तों का पालन करते हैं।

दिलचस्प रूप से इस एडवाइजरी में छात्रों के लिए कई आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं, जिनका पालन न करने पर वे भारत में डॉक्टरी का लाइसेंस प्राप्त करने के योग्य नहीं होंगे। एनएमसी ने यह पाया है कि पहले की चेतावनियों के बावजूद भी कई छात्र ऐसे मेडिकल कॉलेजों में दाखिला ले रहे हैं, जो तय मानकों का पालन नहीं करते।

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Advisory For MBBS From Abroad

NMC एक मुताबिक, इन संस्थानों में मुख्य रूप से कोर्स की अवधि, सिलेबस, क्लिनिकल ट्रेनिंग, और पढ़ाई का माध्यम जैसे मानकों का उल्लंघन देखा गया है। जाहिर है ऐसा करना छात्रों के भविष्य को खतरे में डाल सकता है, क्योंकि ऐसे कॉलेजों की डिग्री भारत में मान्यता प्राप्त नहीं होती है।

जारी की गई एडवाइजरी के मुताबिक, सबसे पहले कोर्स की अवधि को लेकर NMC ने साफ किया है कि एमबीबीएस की कुल अवधि कम से कम 54 महीने यानी लगभग 4.5 साल की होनी चाहिए। इसके साथ ही, उसी संस्थान में 12 महीने की इंटर्नशिप भी अनिवार्य है, ताकि छात्रों को प्रैक्टिकल अनुभव प्राप्त हो सके।

इसके साथ ही छात्रों को कोर्स और ट्रेनिंग सहित पूरी पढ़ाई 10 वर्षों के भीतर पूरी करनी होगी। यह समय-सीमा सुनिश्चित करती है कि छात्र अपनी शिक्षा और ट्रेनिंग को व्यवस्थित और समय पर पूरा करें। साथ ही, मेडिकल डिग्री का मीडियम ऑफ इंस्ट्रक्शन मतलब पढ़ाई का माध्यम अनिवार्य रूप से अंग्रेजी होना चाहिए, ताकि छात्रों को भाषा संबंधी किसी भी प्रकार की दिक्कत का सामना न करना पड़े।

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एडवाइजरी में ये बातें भी अहम

सिलेबस और क्लिनिकल ट्रेनिंग के मामले में, NMC ने जोर दिया है कि यह भारतीय MBBS कोर्स के समान होना चाहिए। इसमें सामान्य चिकित्सा, सर्जरी, बाल रोग, मनोचिकित्सा, प्रसूति विज्ञान जैसे विषय अनिवार्य रूप से शामिल होने चाहिए। इसके अतिरिक्त, छात्रों को हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग के माध्यम से प्रैक्टिकल ज्ञान प्राप्त करना भी जरूरी है, जो उनकी क्लिनिकल स्किल्स को बेहतर बनाएगा।

विदेशी मेडिकल डिग्री की मान्यता भी एक महत्वपूर्ण पहलू है। NMC ने यह निर्देश दिया है कि डिग्री को उस देश के नियामक निकाय (Regulatory Authority) द्वारा मान्यता प्राप्त होनी चाहिए। इसके साथ ही, छात्र को उस देश में मेडिकल प्रैक्टिस करने का लाइसेंस भी उपलब्ध होना चाहिए। यह सुनिश्चित करता है कि डिग्री न केवल मान्यता प्राप्त हो, बल्कि व्यावहारिक तौर पर उपयोगी भी हो।

इतना ही नहीं भारत लौटने पर, मेडिकल ग्रेजुएट को 12 महीने की इंटर्नशिप पूरी करनी होगी, जो उनकी भारतीय मेडिकल प्रणाली के अनुसार ट्रेनिंग को पूरा बनाएगी। इसके अतिरिक्त, स्थायी पंजीकरण के लिए छात्रों को नेशनल एग्जिट टेस्ट (NEXT) या किसी अन्य अनिवार्य परीक्षा को पास करना होगा।

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