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बांग्लादेश में बैन हो सकता है ISKCON? सरकार ने बताया ‘कट्टरपंथी संगठन’

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Bangladesh Might Ban ISKCON?: बांग्लादेश में हिंदू समुदाय और इस्कॉन से जुड़े संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद धार्मिक और राजनीतिक माहौल में काफी उथल-पुथल देखने को मिल रही है। आपको बता दें, राजद्रोह के आरोप में चिन्मय दास की गिरफ्तारी के बाद चटगांव समेत कई शहरों में हिंसा और विरोध प्रदर्शन हुए। विवाद अब हाईकोर्ट पहुँच चुका है। अदालत में इस्कॉन यानी ‘इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस पर बैन लगाने तक की बात सरकार ने कह दी है।

जी हाँ! बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार ने इस्कॉन को कट्टरपंथी संगठन करार देते हुए जांच शुरू करने की बात कही है। असल में चिन्मय कृष्ण दास पर आरोप है कि उन्होंने अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में चटगांव में एक रैली के दौरान बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया। यह आरोप लगने के बाद सोमवार को पुलिस ने उन्हें ढाका एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया।

गिरफ्तारी के बाद अदालत में पेशी के दौरान चिन्मय दास की जमानत याचिका खारिज कर दी गई। इसके विरोध में उनके समर्थकों ने कोर्ट परिसर के बाहर प्रदर्शन किया और हिंसक झड़पें हुईं। आरोप है कि इस दौरान सरकारी वकील सैफुल इस्लाम की मौत भी हो गई।

Bangladesh To Ban ISKCON?

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हिंसा में सरकारी वकील सैफुल इस्लाम अलिफ की जान चली गई। आरोप है कि इस्कॉन समर्थकों ने उन्हें खींचकर एक हॉल में ले जाकर उनके साथ मारपीट की और अस्पताल ले जाने पर उन्हें मृत करार दे दिया गया। इस घटना के चलते अब बांग्लादेश में इस्कॉन के खिलाफ भी गुस्सा बढ़ने की बात कही जा रही है।

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बता दें, बुधवार को बांग्लादेश हाईकोर्ट में एक वकील ने इस्कॉन पर बैन लगाने की याचिका दायर की। याचिका में चटगांव में हुई हिंसा और वकील सैफुल इस्लाम की मौत का हवाला दिया गया। वहीं सुनवाई के बाद अदालत ने बांग्लादेश सरकार से इस मुद्दे पर रिपोर्ट मांगी और गुरुवार सुबह तक कार्रवाई की जानकारी देने का निर्देश दिया।

इस बीच, बांग्लादेश सरकार का पक्ष रखते हुए अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असदुज्जमां ने कोर्ट को बताया कि इस्कॉन कोई राजनीतिक दल नहीं, बल्कि एक धार्मिक कट्टरपंथी संगठन है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार पहले से ही इस संस्था की गतिविधियों की जांच कर रही है।

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क्या है ISKCON?

इस्कॉन या कहें तो ‘हरे कृष्ण’ मुहिम की शुरुआत 1966 में अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में स्वामी प्रभुपाद द्वारा की गई थी। यह संगठन कृष्ण भक्ति पर आधारित है और इसका उद्देश्य वैदिक संस्कृति और आध्यात्मिकता का प्रचार करना है। बांग्लादेश में इस्कॉन की उपस्थिति कई दशकों से है। यहां के हिंदू समुदाय के लिए इस्कॉन न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक जुड़ाव का भी प्रतीक है।

भारत भी हालातों पट चिंतित

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और उसके बाद हुई घटनाओं के चलते बांग्लादेश में हिंदू समुदाय ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। चटगांव समेत अन्य शहरों में रैलियां निकाली गईं, जिसमें अल्पसंख्यकों ने सुरक्षा और न्याय की मांग की गई। रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश में प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने भीड़ को काबू में करने के लिए साउंड ग्रेनेड का इस्तेमाल किया और हिंसा को रोकने की कोशिश की।

इस घटना के बाद कई हिंदू धार्मिक स्थलों पर भी विरोध आदि जैसी खबरें सामने आईं। जाहिर है मौजूदा हालातों को देखते हुए बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के बीच दहशत फैल गई है। भारत सरकार ने भी इस मामले पर चिंता व्यक्त की है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश से हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है।

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