Byju’s Faces New Investigation Amid Financial Fraud: कभी देश के सबसे चर्चित और फिलहाल बेहद विवादों में घिरे एडटेक स्टार्टअप, Byju’s के सामने अब एक नई चुनौती खड़ी हो चुकी है। सामने आ रही जानकारी के अनुसार, कंपनी के ख़िलाफ वित्तीय घोटालों के आरोप और अनियमितताओं की आशंका के चलते एक नई जांच शुरू हुई है। कभी भारत का सबसे मूल्यवान स्टार्टअप रहने वाला Byju’s फिलहाल गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहा है।
इस संबंध में ET की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय कॉर्पोरेट मंत्रालय ने हैदराबाद में स्थित रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़ के क्षेत्रीय कार्यालय को निर्देश दिया है कि वह Byju’s के वित्तीय खातों की गहन जांच करें। रिपोर्ट में मामले के जानकार सूत्रों के अनुसार बताया जा रहा है कि इस नई जांच का उद्देश्य यह पता लगाना है कि क्या कंपनी ने वित्तीय डिटेल्स में कोई हेराफेरी की है या धन का गलत इस्तेमाल किया है।
वैसे इसके पहले भी मंत्रालय द्वारा की गई एक साल की जांच के दौरान यह पाया गया था कि बायजूस में कॉर्पोरेट गवर्नेंस की कुछ खामियां हैं, लेकिन उस समय कोई ठोस सबूत नहीं मिले थे जो सीधे अपराध को दर्शाते हों। हालाँकि कंपनी की वित्तीय स्थिति और प्रबंधन को लेकर संदेह और चिंताएं लगातार बनी हुई थीं, जिससे अब नई जांच की शुरुआत हुई है।
Byju’s Faces New Investigation: नई जांच में क्या?
बताया जा रहा है कि पिछली जांच में कुछ कॉर्पोरेट गवर्नेंस की खामियां सामने आई थीं, लेकिन उनको लेकर कोई अपराध सिद्ध नहीं हुआ था। इस बार के जांच में विशेष रूप से यह देखा जाएगा कि कहीं किसी प्रकार का वित्तीय हेरफेर तो नहीं हुआ। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के पास अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए एक साल का समय है।
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जाहिर है Byju’s पिछले कुछ समय से भारी वित्तीय संकट में है। एक समय पर इस कंपनी की वैल्यू $22 बिलियन तक आँकी जाती थी, लेकिन वर्तमान में इसके संस्थापक बायजू रवींद्रन का कहना है कि कंपनी की वैल्यूएशन अब “ज़ीरो” हो चुकी है। कंपनी ने कई बड़े निवेशकों जैसे Prosus NV से फंड जुटाया था, लेकिन हाल ही में Prosus NV सहित कई निवेशकों ने अपने निवेश को लिखित तौर पर समाप्त कर दिया है।
इतना ही नहीं बल्कि Byju’s वर्तमान में भारत और अमेरिका की अदालतों में अपने वित्तीय विवादों से जूझ रहा है। अक्टूबर में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक दिवालिया अदालत के आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें Byju’s को एक अहम कर्जदाता के साथ समझौता करने की अनुमति दी गई थी। इस फैसले ने कंपनी को फिर से दिवालिया स्थिति में ला खड़ा कर दिया है और अब कंपनी इस मामले को एक निचली अदालत में ले जा रही है। वैसे फिलहाल कंपनी का कंट्रोल एक IRP (Insolvency Resolution Professional) के पास है।