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सिर्फ FIR के आधार पर सरकारी नौकरी से नहीं रोका जा सकता, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

सिर्फ FIR के आधार पर सरकारी नौकरी से नहीं रोका जा सकता, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

  • FIR दर्ज होने से आप किसी को भी सरकारी नौकरी देने से रोक नहीं सकते- सुप्रीम कोर्ट
  • सुप्रीम कोर्ट ने केरल HC के फैसले को रखा बरकरार.
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Government job cannot be stopped on the basis of FIR: सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान एक मुख्य टिप्पणी में कहा है कि FIR से (पुलिस में दर्ज मामला) किसी भी सरकारी नौकरी के अधिकार को नहीं छीना जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट की उक्त टिपण्णी केरल सरकार के विरुद्ध और केरल हाईकोर्ट द्वारा सुनाए गए एक मामले के फैसले के समर्थन में आई है। सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार किया है।

मामला 2023 को केरल सरकार द्वारा एक व्यक्ति को उसकी अलग रह रही पत्नी द्वारा दायर आपराधिक मामले में बरी किए जाने के बाद कांस्टेबल के रूप में इंडिया रिजर्व बटालियन में शामिल होने की अनुमति देने को लेकर बने विवाद से सम्बन्धित था।

हाइकोर्ट के फैसले का सुप्रीम कोर्ट ने किया समर्थन

केरल हाईकोर्ट ने उक्त मामले की सुनवाई 2023 में की थी, कोर्ट में सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति ए मुहम्मद मुस्ताक और शोभा अन्नम्मा इपेन की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा था कि,  किसी उम्मीदवार के चरित्र और रिकॉर्ड की जांच करते वक्त केवल आरोपों और एफाईआर दर्ज होने की बुनियाद पर ही उसे अयोग्य नहीं घोषित किया जा सकता। साथ ही स्पष्ट किया था ठीक इसी प्रकार किसी आपराधिक मामले में बरी होने के बाद भी सेवा में स्वतः ही शामिल होने का अधिकार नहीं मिल जाता है।

केरल हाईकोर्ट का फैसला केरल सरकार के विरोध में आया था, जिसे लेकर केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की ओर रुख किया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले को लेकर सुनवाई के बाद केरल हाईकोर्ट के फैसले को बरक़रार रखने में अपनी सहमति जताई।

हाइकोर्ट ने केरल प्रशासनिक न्यायाधिकरण का किया समर्थन

ये पूरा मामला एक कांस्टेबल भर्ती को लेकर था, जिसमें केरल प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने एक शख्स की अलग रह रही पत्नी द्वारा दायर मामले में बरी किए जाने के बाद इंडिया रिजर्व बटालियन में उसे शामिल करने की अनुमति देने की बात कही थी, जिसके खिलाफ़ केरल सरकार ने हाइकोर्ट का दरवाज़ा खटकाया था।

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केरल हाइकोर्ट ने केरल प्रशासनिक न्यायाधिकरण की बात का समर्थन किया, फैसले से नाखुश राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की ओर रुख किया लेकिन वह भी जस्टिस पीएमस नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने 14 नवंबर के हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ केरल सरकार की याचिका खारिज कर दी। हालांकि इस दौरान राज्य द्वारा उठाए गए कानून के प्रश्न को भी खुला रखा गया। यानि कि कानून के प्रश्न को उचित मामले में विचार के (Government job cannot be stopped on the basis of FIR) लिए खुला रखा गया है।

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