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AI कटेंट का आरोप लगा यूनिवर्सिटी ने छात्र को फेल किया, हाई कोर्ट पहुंचा मामला

AI कटेंट का आरोप लगा यूनिवर्सिटी ने छात्र को फेल किया, हाई कोर्ट पहुंचा मामला

  • पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सोमवार को ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के खिलाफ एक मामले की सुनवाई की.
  • याचिका कौस्तुभ शक्करवार नामक वकील द्वारा दायर की गई.
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University fails student on AI content charges: ओपी जिंदल यूनिवर्सिटी के खिलाफ एक छात्र ने पंजाब हरियाणा हाइकोर्ट में याचिका दायर करते हुए अव्यवहारिक तरीके से फेल करने का आरोप लगाया गया है, छात्र पेशे से वकील है और वह ओपी जिंदल यूनिवर्सिटी से एलएलएम की शिक्षा प्राप्त कर रहा है। छात्र कौस्तुभ शक्करवार नामक वकील ने याचिका दायर करते हुए विश्विद्यालय प्रबंधन के ऊपर आरोप लगाए है कि विश्विद्यालय प्रबंधन की ओर से एक परीक्षा में उसके द्वारा दिए गए उत्तर को एआई-जनित घोषित करके उन्हें परीक्षा के लिए अयोग्य घोषित करते हुए फेल कर दिया गया है।

18 मई को प्रथम सत्र की परीक्षा में शामिल हुआ छात्र

पेशे से वकील कौस्तुभ शक्करवार कानून की अच्छी खासी जानकारी रखते है, उन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश के साथ एक विधि शोधकर्ता के रूप में काम किया था और मुकदमेबाजी से संबंधित एक एआई प्लेटफॉर्म चलाते हैं। वह फिलहाल जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल में बौद्धिक संपदा और प्रौद्योगिकी कानून में मास्टर ऑफ लॉ (एलएलएम) कर रहे।

इसी कि परीक्षा के सम्बंध में शक्करवार 18 मई को प्रथम सत्र की परीक्षा में शामिल हुए थे और अपनी डिग्री के हिस्से के रूप में ‘वैश्वीकरण की दुनिया में कानून और न्याय’ विषय के लिए अंतिम सत्र की परीक्षा के लिए अपने उत्तर प्रस्तुत किए थे।

लेकिन उनके द्वारा लिखे गए उत्तरों को विश्विद्यालय के ओर से नियुक्त परीक्षा जांचने वाली समिति के सदस्यों ने AI तकनीकी आधारित 88% उत्तर लिखे जानें के आरोप में परीक्षा में फेल कर दिया। जिसकी शिकायत परीक्षा नियंत्रक से किए जानें के बाद भी परीक्षा नियंत्रक ने निर्णय को बरकरार रखा। इन सब घटनाओं के बाद जब लॉ के जानकर छात्र को न्याय नहीं मिला तो उसने अपने मामले को कोर्ट ले जानें का फैसला लिया।

विश्वविद्यालय ने आरोप को पुष्ट करने सबूत नहीं दिए

याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि उनके क्लाइंट को विश्विद्यालय की ओर से AI तकनीकी आधारित 88% उत्तर लिखे जानें के आरोप में परीक्षा में फेल कर दिया जबकि इस बात का अब तक विश्विद्यालय की ओर से आरोप को पुष्ट करने के लिए “एक भी सबूत” पेश नहीं किया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविधालय में एआई-जनरेटेड सामग्री पर कोई स्पष्ट प्रतिबंध नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह प्रस्तुति उनकी अपनी मौलिक रचना थी और इसे किसी एआई की मदद से नहीं बनाया गया था।

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याचिका के बाद सुनवाई करते हुए पंजाब हरियाणा हाइकोर्ट के जस्टिस जसगुरपीत सिंह पुरी ने पूरे मामले को लेकर ओपी जिंदल यूनिवर्सिटी से इसका जवाब मांगा है, साथ ही मामले की अगली सुनवाई 14 नवंबर (University fails student on AI content charges) की तय की है।

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