Supreme Court & BYJU’S Insolvency Case: सुप्रीम कोर्ट ने आज नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के उस फैसले को पलट दिया है, जिसमें BYJU’S और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के बीच ₹158 करोड़ के समझौते के बाद दिवालिया प्रक्रिया को समाप्त कर दिया था। दिलचस्प रूप से यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पार्डीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने सुनाया है।
इस फैसले में कोर्ट ने BYJU’S के वित्तीय मामलों में और अधिक पारदर्शिता की आवश्यकता पर जोर दिया और BCCI को निर्देश दिया कि वह इस समझौते की राशि यानी ₹158 करोड़ को लेनदारों की समिति (CoC) को हस्तांतरित करे।
Supreme Court ने रद्द किया BYJU’S और BCCI का समझौता
सुप्रीम कोर्ट ने NCLAT द्वारा अगस्त को दिए गए उस आदेश को “अनुचित” करार दिया, जिसमें NCLAT ने BYJU’S और BCCI के बीच ₹158 करोड़ के समझौते को मंजूरी दी थी और इसके बाद दिवालिया कार्यवाही को समाप्त कर दिया था। अदालत ने कहा कि इस प्रक्रिया में कई नियमों का उल्लंघन किया गया था, जिससे यह फैसला न्यायोचित नहीं था।
सुप्रीम कोर्ट ने NCLAT के उस फैसले की तीखी आलोचना की, जिसमें उसने कॉर्पोरेट दिवालिया समाधान प्रक्रिया या CIRP को समय से पहले समाप्त कर दिया था। अदालत ने कहा कि NCLAT ने गलत तरीके से 2016 के नियम 11 का इस्तेमाल करते हुए इस मामले में अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया है। यह नियम केवल विशिष्ट मामलों में इस्तेमाल हो सकता है, न कि दिवालिया मामलों को समाप्त करने के लिए।
NCLAT को फटकार?
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि CIRP प्रक्रिया को वापस लेने का अधिकार केवल अंतरिम समाधान पेशेवर के माध्यम से ही किया जा सकता है, न कि पक्षों के बीच सीधे समझौते के ज़रिए ऐसा हो सकता है। आपको बता दें, अंतरिम समाधान पेशेव का उद्देश्य कर्जदार के मामलों को नियंत्रित करना होता है, और इस प्रक्रिया के दौरान केवल वही आवेदन वापस लेने के लिए आवेदन कर सकता है।
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सुप्रीम कोर्ट ने NCLAT की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। अदालत ने कहा कि NCLAT दिवालिया मामलों को संभालने वाला ट्रिब्यूनल है, न कि एक ‘डाकघर’ जो स्वचालित रूप से किसी भी समझौते को मंजूरी दे दे। NCLAT ने BYJU’S और BCCI के बीच समझौते को मंजूरी देकर अपनी भूमिका से आगे बढ़कर काम किया है।
कैसे शुरू हुआ BYJU’S विवाद?
BYJU’S की वित्तीय परेशानियां पिछले कुछ समय से बढ़ रही हैं। इसकी शुरुआत जून 2023 से कही जा सकती है, जब कंपनी $1.2 बिलियन के टर्म लोन पर ब्याज भुगतान से चूक गई थी, जिसके बाद से उसके अमेरिकी लेनदारों के साथ विवाद शुरू हो गए थे। लेनदारों ने आरोप लगाया था कि BYJU’S ने अपने लोन की शर्तों का उल्लंघन किया है और वह लोन चुकाने में भी चूक रही है।
BYJU’S का न केवल अमेरिकी लेनदार ग्लैस ट्रस्ट के साथ विवाद चल रहा है, बल्कि BCCI के साथ भी कानूनी और वित्तीय विवाद सामने आए। BYJU’S और BCCI के बीच ₹158 करोड़ का समझौता भी इन्हीं विवादों का हिस्सा है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अब रद्द कर दिया है। BCCI को अब यह राशि लेनदारों की समिति के पास जमा करनी होगी।
इस फैसले से BYJU’S के लिए आने वाले समय में और भी वित्तीय दबाव बढ़ सकता है, क्योंकि कंपनी के कई कर्जदारों के साथ विवाद अभी भी सुलझाए नहीं गए हैं। कोर्ट ने BYJU’S की वित्तीय स्थिति और ऋणों की अदायगी प्रक्रिया में पारदर्शिता की आवश्यकता पर बल दिया है। यह सब ऐसे समय में सामने आया है जब हाल में कंपनी के सह-संस्थापक और सीईओ बायजू रवीद्रन ने कहा कि वह भारत छोड़कर दुबई नहीं भागे हैं और जल्द ही वह शानदार वापसी करेंगे।