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40 प्रतिशत से अधिक विकलांग छात्र भी कर सकेंगे MBBS: सुप्रीम कोर्ट

40 प्रतिशत से अधिक विकलांग छात्र भी कर सकेंगे MBBS: सुप्रीम कोर्ट

  • सुप्रीम कोर्ट ने वाणी और भाषा से जुड़ी 45% दिव्यांगता वाले छात्र को MBBS पाठ्यक्रम में प्रवेश के हक में फैसला सुनाया.
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा- NMC अपने नियम बदले.
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More than Students 40% disability allowed MBBS: सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल पढ़ाई करने संबंधित एक अहम मामले में दिव्यांग छात्रों के हित में एक बड़ा फैसला सुनाया हैं। दरअसल पूरा मामला दिव्यांगता होने भर से किसी उम्मीदवार को एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए अयोग्य  ठहराये जानें संबंधित एक याचिका से संबंधित है। सुप्रीम कोर्ट में एक ओमकार नाम के छात्र की ओर से याचिका दायर की गई थी, जिसमें स्नातक चिकित्सा शिक्षा विनिमय, 1997 कानून को चुनौती दी है।

इसके तहत 40 प्रतिशत या उससे अधिक दिव्यांग उम्मीदवार को एमबीबीएस करने की अनुमति नहीं है। याचिकाकर्ता ने अपनी अपील ने कोर्ट के समक्ष यह दावा किया था कि यह नियम दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 की धारा 32 का उल्लंघन करता है और यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19(1)(जी), 21 और 29(2) के खिलाफ है, याचिकाकर्ता ने इस नियम को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की थी।

कोर्ट की ओर से इस अहम मामले में छात्र के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा गया कि, 40% से अधिक बोलने और भाषा संबंधी दिव्यांग छात्रों के लिए मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश पाने में बाधा नहीं होनी चाहिए, केवल इसलिए कि ये दिव्यांगता 44 से 45 प्रतिशत है, ऐसे छात्रों को MBBS पाठ्यक्रम में प्रवेश से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। हमारा मानना है कि इससे दाखिले के लिए विचार किए जाने का उसका अधिकार समाप्त नहीं होता।

कोर्ट ने आगे कहा, सिर्फ दिव्यांगता की मात्रा निर्धारित करने से उम्मीदवार को प्रवेश लेने से नहीं रोका जा सकता, इसके लिए उम्मीदवार की विशेष रूप से जांच की जानी चाहिए।

विकलांगता बोर्ड को जिम्मेदारी

विकलांगता बोर्ड के मूल्यांकन से ही उम्मीदवार एमबीबीएस की पढ़ाई आगे जारी रख सकता है या नहीं यह निर्धारित होगा। सर्वोच्च अदालत ने यह भी कहा कि विकलांगता बोर्ड को अगर लगता है कि कोई उम्मीदवार कोर्स आगे जारी नहीं रख सकता है, तो विकलांगता बोर्ड को यह निष्कर्ष निकालने पर भी कारण बताना चाहिए कि उम्मीदवार कोर्स करने के योग्य क्यों नहीं हैं।

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गौरतलब हो, एनएमसी (नेशनल मेडिकल कमीशन) के वे नियम, जो सभी प्रकार की विकलांगता वाले उम्मीदवारों को मेडिकल शिक्षा से बाहर करते हैं, बहुत सख्त हैं। कोर्ट के इस फैसले के बाद अदालत ने एनएमसी को निर्देश दिया है कि वे इन नियमों को बदलें और द‍िव्यांग वर्ग के उम्मीदवारों के लिए (More than Students 40% disability allowed MBBS) अधिक समावेशी और सहायक दृष्टिकोण अपनाएं।

 

 

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