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भारत में सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटन पर अंबानी और मस्क कर रहे एक-दूसरे का विरोध – रिपोर्ट

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Mukesh Ambani vs Elon Musk?: भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन को लेकर अब खेल दिलचस्प होता जा रहा है। इस क्षेत्र में भारत के सबसे अमीर उद्योगपति मुकेश अंबानी की कंपनी Reliance Jio और दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क की कंपनी Starlink के बीच प्रतिस्पर्धा देखनें को मिल रही है। जी हाँ! सामने आ रही रिपोर्ट्स के अनुसार, Reliance एक ओर स्पेक्ट्रम की नीलामी की मांग कर रही है, वहीं Starlink और अन्य वैश्विक कंपनियां आवंटन प्रक्रिया का समर्थन कर रही है।

ये जानकारी रॉयटर्स की एक हालिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से सामने आई है। गौर करने वाली बात ये है कि इस मामले पर भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) द्वारा एक परामर्श पत्र जारी किया गया, जिसके चलते संशय बरकरार है। Deloitte की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का सैटेलाइट ब्रॉडबैंड मार्केट सालाना 36% की दर से बढ़ेगा और 2030 तक $1.9 बिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है।

Mukesh Ambani vs Elon Musk: क्या है मांग?

ऐसे में जाहिर है भारतीय और विदेशी सभी टेलीकॉम कंपनियाँ इस व्यापक संभावना को अपने हाथों से जाने नहीं देना चाहती हैं। वहीं सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाओं के चलते भारत में ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी को बढ़ाया जा सकेगा, जहां वर्तमान के परंपरागत टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध नहीं है। देखा जाए तो स्पेक्ट्रम आवंटन का मुद्दा पिछले साल से गरमाया हुआ है। एलन मस्क की Starlink और Amazon की Project Kuiper जैसी वैश्विक कंपनियां स्पेक्ट्रम के शासनात्मक आवंटन (Allocation) की मांग कर रही हैं।

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इन कंपनियों का तर्क है कि यह अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है और सैटेलाइट सेवाओं को तेजी से शुरू करने में मददगार होगा। वहीं Reliance Jio का कथित रूप से मानना है कि स्पेक्ट्रम की नीलामी (Auction) होनी चाहिए ताकि सभी को समान अवसर उपलब्ध हों। Reliance के मुताबिक, अगर स्पेक्ट्रम आवंटन के बजाय नीलामी नहीं की गई, तो यह विदेशी कंपनियों को अनुचित लाभ देगा और वे भारत की पारंपरिक टेलीकॉम कंपनियों से प्रत्यक्ष प्रतिस्पर्धा में आ जाएंगी।

Jio vs Starlink

अटकलें यह भी हैं कि Reliance के अनुसार, स्पेक्ट्रम नीलामी से सरकार को राजस्व भी मिलेगा, जो कि देश के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यह इसलिए भी और दिलचस्प हो जाता है क्योंकि Jio फिलहाल लगभग 48 करोड़ से अधिक ग्राहक आधार के साथ, भारत की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी है।

इतना ही नहीं बल्कि भारत की सबसे बड़ी टेलीकॉम दिग्गज Reliance Jio को लगता है कि इस स्पेक्ट्रम का उपयोग केवल ब्रॉडबैंड सेवाओं तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि ये कंपनियां वॉयस और डेटा सेवाएं भी प्रदान कर सकेंगी, जो मौजूदा टेलीकॉम उद्योग के लिए भी बड़ी चुनौती होगा। लेकिन यह साफ कर दें कि Reliance ने सार्वजनिक रूप से इसको लेकर अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है।

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TRAI कर रहा परामर्श

रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने इस मुद्दे पर सार्वजनिक परामर्श शुरू किया है, जिसमें सभी हितधारकों से फीडबैक मांगा जा रहा है। हालांकि, Reliance Jio ने TRAI के इस परामर्श पत्र को चुनौती दी है और आरोप लगाया है कि TRAI ने पहले से ही यह निष्कर्ष निकाल लिया है कि स्पेक्ट्रम का आवंटन ही सही तरीका है।

मामले से संबंधित रिपोर्ट बताती है कि Reliance रिलायंस ने TRAI को 10 अक्टूबर को एक निजी पत्र लिखा, जिसमें कहा गया कि परामर्श प्रक्रिया को फिर से शुरू किया जाना चाहिए क्योंकि इसमें स्पेक्ट्रम आवंटन के पक्ष में पूर्व-निर्धारित निष्कर्ष दिए गए हैं। रिलायंस का कहना है कि TRAI ने किसी भी तरह के अध्ययन या डेटा के बिना ही यह फैसला किया है, जो सही नहीं है।

अब देखना ये है कि पहले से ही दुनिया के कई देशों में अपनी सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाओं की पेशकश कर रही एलन मस्क की Starlink भारत में किस तरह की चुनौतियों का सामना करती है और कब तक सर्विस को लॉन्च कर पाती है। पर अभी तो स्पेक्ट्रम आवंटन या नीलामी के बीच फँसा को पेंच अभी भी एक बड़ा विवाद बनता दिख रहा है।

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