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Marital Rape: वैवाहिक बलात्कार नहीं बन सकता अपराध, SC में बोली सरकार, छिड़ी बहस

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Marital Rape cannot become a crime: वैवाहिक बलात्कार के लिए केन्द्र सरकार की ओर से एक अहम टिप्पणी की गई है, जिसके बाद केंद्र सरकार की टिपण्णी को लेकर देशभर से पक्ष और विपक्ष में कई प्रकार के बयान आ रहें हैं। दरअसल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल करते हुए कहा कि वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इसके लिए अन्य “उपयुक्त दंडात्मक उपाय” मौजूद हैं। इसका स्पष्ट मतलब यह है कि केंद्र की मोदी सरकार वैवाहिक बलात्कार (मैरिटल रेप) को अपराध नहीं मानती है।

सरकार ने इस विषय में सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में यह भी स्पष्ट किया कि वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करना सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। यदि इस विषय में कोई अपराध निश्चित करना है तो भी उसके लिए इस मुद्दे पर सभी हितधारकों के साथ उचित परामर्श और राज्यों के विचारों को ध्यान में रखे बिना निर्णय लिया जाना होगा चूंकि यह एक सामाजिक मुद्दा है, इसका समाज पर सीधा प्रभाव पड़ेगा।

विवाहित महिलाओं के पास अन्य अधिकार

केंद्र ने कहा कि संसद पहले ही ऐसी व्यवस्था कर चुकी है जो शादी के भीतर महिला की सहमति की रक्षा करती है। इन उपायों में शादीशुदा महिलाओं के साथ क्रूरता को दंडित करने वाले कानून शामिल हैं। इसके अलावा, महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 भी महिलाओं को मदद प्रदान करने के लिए मौजूद है।

ऐसे में वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करना फिलहाल न्याय संगत नही है। हालांकि इस दौरान केंद्र ने यह स्वीकार किया कि विवाह में पति को अपनी पत्नी को उसकी इच्छा के विरुद्ध यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करने का अधिकार नहीं है। लेकिन केंद्र ने इस विषय में साफ़ किया की ऐसी स्थिति में विवाहित महिलाओं के पास अन्य कानूनी अधिकार मौजूद है।

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बता दे, दिल्ली हाई कोर्ट की दो जजों की पीठ ने 12 मई, 2022 को मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने से संबंधित मुद्दे पर अलग-अलग फैसले सुनाए थे। जस्टिस राजीव शकधर ने इसे अपराध घोषित करने का पक्ष लिया, जबकि न्यायमूर्ति सी हरिशंकर ने इस राय से असहमति जताई और कहा कि धारा 375 का अपवाद 2 संविधान का उल्लंघन नहीं करता है क्योंकि यह समझदार मतभेदों पर आधारित है। दो विरोधावसी फैसले के बाद और सामाजिक स्तर में भी इस मुद्दे को लेकर अलग पक्ष होने के बाद इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट से उचित दिशा-निर्देश देने (Marital Rape cannot become a crime)  की मांग की गई थी।

 

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