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हिमाचल प्रदेश: कम ड्रग्स के साथ पकड़े जाने पर नहीं होगी सजा? DGP का बड़ा बयान

हिमाचल प्रदेश: कम ड्रग्स के साथ पकड़े जाने पर नहीं होगी सजा? DGP का बड़ा बयान

  • हिमाचल प्रदेश के पुलिस प्रमुख ने ड्रग्स समस्या को लेकर बड़ा बयान.
  • हिमाचल में कम ड्रग्स के साथ पकड़े जाने पर नहीं होगी सजा.

no punishment if caught with less drugs in Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश में पिछले कुछ सालों में ड्रग्स की समस्या में काफ़ी इज़ाफा देखने को मिला है, बीते दिनों ही शिमला पुलिस ने एक ड्रग्स रैकेट का भंडाफोड़ करने में बड़ी कामयाबी हासिल की थी। जिसमें एक सेब व्यापारी बड़ा चालाकी के साथ पिछले 5-6 सालों से यह ड्रग्स रैकेट चला रहा था। ऐसे कई मामलों ने हाल फिलहाल पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश की आबोहवा को दूषित कर रखा हैं।

इस बीच हिंदुस्तान की एक रिपोर्ट में हिमाचल प्रदेश के पुलिस प्रमुख के हवाले से कहा गया कि कम मात्रा के ड्रग्स के साथ पकड़े जाने वाले नशेड़ियों से अपराधियों वाला व्यवहार नहीं किया जाएगा। उन्हें सुधरने का मौका दिया जाएगा। अब हिमाचल प्रदेश के पुलिस प्रमुख का उक्त बयान ने काफी सुर्खियां बटोरी है।

एनडीपीएस ऐक्ट के तहत दर्ज होने वाले केस में इज़ाफा

हिमाचल प्रदेश के पुलिस प्रमुख ने कम ड्रग्स के साथ पकड़े जाने वाले नशेड़ियों से अपराधियों भरा व्यवहार न करने की वजह एनडीपीएस ऐक्ट के तहत दर्ज होने वाले केस के कई गुना बढ़ जानें को बताया है। उन्होंने कहा कि, इस प्रकार सजा देने से भी उक्त अपराधों में कमी नहीं आ रही, और दिनों दिन इस प्रकार के केस में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। 2014 में जहां 644 केस दर्ज किए गए थे तो 2023 में इनकी संख्या बढ़कर 2,147 हो गई।

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इनमें से कुछ केस ऐसे लोगों के ऊपर दर्ज हुए है, जो ड्रग्स के आदी अपराधी नहीं हैं। वे स्वास्थ्य समस्या का सामना कर रहे हैं। उन्हें एनडीपीएस अधिनियम की धारा 64 ए के तहत सुधार का मौका दिया जाना चाहिए, जो कम मात्रा में प्रतिबंधित पदार्थ के साथ पकड़े गए नशेड़ियों को मुकदमे से छूट प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि प्रावधान का कभी राज्य में इस्तेमाल नहीं किया गया।

मेडिकल ट्रीटमेंट के जरिए उन्हें सुधार का मौका

ऐसे में अब हिमाचल प्रदेश पुलिस कम ड्रग्स के साथ पकड़े जानें पर उस शख्स के साथ अपराधी जैसा व्यवहार नहीं करेगी। ऐसे लोगों और ड्रग्स के नशेड़ियों की पहचान की प्रक्रिया शुरू की जायेंगी। साथ ही इस अपराध से जागरूकता के लिए एनजीओ और रिटायर्ड अधिकारियों को धारा 14 A को लेकर जागरुकता अभियान में लगाया जाएगा। मेडिकल ट्रीटमेंट के जरिए उन्हें सुधार का मौका दिया जाएगा

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