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25 हाईकोर्ट के 87% जजों ने सार्वजनिक नहीं किया संपत्ति का ब्योरा: रिपोर्ट

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High Court judges did not make their assets public: देश भर के हाईकोर्ट में जजों की भूमिका का निर्वहन कर रहें न्यायधीशों को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है, एक बड़े मीडिया संस्थान ने अपनी हालिया रिपोर्ट में खुलासा किया है कि देश में मौजूद 25 हाईकोर्ट के जजों में से 87% जजों ने आदेश के बावजूद अपनी संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक नही की हैं।

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में 25 हाईकोर्ट के 749 न्यायाधीश अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहें है, लेकिन आदेश के बाद सिर्फ 98 जजों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा संबंधित प्लेटफॉर्म पर सार्वजनिक किया है, जो कुल संख्या का केवल 13 फीसदी है।

इन राज्यों के एक भी न्यायधीश की जानकारी सार्वजनिक नही

उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान जैसे राज्यों में मौजूद हाईकोर्ट के न्यायधीश ने अब तक पब्लिक डोमेन में किसी भी प्रकार की जानकारी साझा नही की है। रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट में वर्तमान समय में 84 जज हैं, इनमें से किसी की भी संपत्ति की जानकारी पब्लिक डोमेन में नहीं है।

वेबसाइट पर इनके आगे नो मेंशन का ज़िक्र किया गया है, वही दुसरी ओर उत्तराखंड हाईकोर्ट की बात की जाए तो यहां कुल सात जज हैं, इन सात न्यायाधीशों में से भी किसी ने अपनी संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक नहीं की है। इन सभी जजों के नाम के आगे भी नो मेंशन लिखा है।

केरल के सबसे अधिक न्यायधीशों ने अपनी जानकारी शेयर की

पब्लिक डोमेन में अपनी संपति और अन्य जानकारी सार्वजनिक करने के मामले में केरल हाईकोर्ट के न्यायधीशों ने अन्य के मुकाबले एक मिशाल पेश की है। रिपोर्ट के मुताबिक, केरल में मौजूद वर्तमान समय में 39 जज में से से 37 न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक किया है, दूसरी तरफ पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के भी 55 में से 31 न्यायाधीशों ने संपत्ति की जानकारी दी है। इस लिस्ट में दिल्ली हाईकोर्ट के 39 में से 11 न्यायाधीशों ने संपत्ति का ब्योरा दिया है।

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बता दे, जजों की संपत्ति के ब्योरे में उनकी चल और अचल संपत्ति के साथ पति/पत्नी और उनके आश्रितों की संपत्ति की भी जानकारी देना भी शामिल हैं,  इनमें शेयर, म्यूचुअल फंड, फिक्स्ड डिपॉजिट, बैंक बैलेंस, बॉन्ड और इंश्योरेंस पॉलिसी की जानकारी शामिल हैं। जो उन्हें पब्लिक डोमेन में सार्वजनिक (High Court judges did not make their assets public)  करनी हैं।

 

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