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EY में कार्यरत 26 वर्षीय CA की मौत; मां ने कहा, ‘अत्यधिक काम का दबाव वजह’

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EY Pune CA Dies, Mother Slams Company For Overwork: हाल के दिनों में वर्क कल्चर को लेकर बहस एक बड़ा मुद्दा बन चुकी है। और अब एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसने कर्मचारियों पर काम के प्रेशर और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर फिर व्यापक चर्चा छेड़ दी है। असल में बहुराष्ट्रीय कंपनी EY में कार्यरत एक चार्टर्ड अकाउंटेंट, ऐना सेबेस्टियन पेरायिल (Anna Sebastian Perayil) की मौत को लेकर कुछ नए सवाल खड़े हुए हैं। ऐना ने 4 महीने पहले ही EY ज्वाइन करते हुए अपने करियर की शुरुआत की थी। उनकी मां, अनीता ऑगस्टीन का कहना है कि अत्यधिक काम के दबाव के चलते उन्हें अपनी बेटी खोनी पड़ी।

जी हाँ! अनीता ने इसको लेकर कंपनी को भी एक मेल भेजा और कई गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना रहा कि उनकी बेटी को अपने करियर की शुरुआत में ही अत्यधिक काम के तनाव का सामना करना पड़ा। अन्ना की मां ने अपनी बेटी के काम की परिस्थितियों को अत्यधिक तनावपूर्ण बताया। उनका आरोप है कि कंपनी की ओर से उसे लगातार काम करने के लिए कहा गया और साथ ही उन्होंने कोई छुट्टी न दिए जाने की भी शिकायत की हैं।

EY Pune CA Dies, Mother Slams Company

अनीता ऑगस्टीन ने कंपनी को भेजे गए मेल में अपनी बेटी की मौत का कारण काम के अत्यधिक तनाव को बताया। अपने मेल में उन्होंने लिखा कि ऐना ने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही कंपनी द्वारा डालें गए अत्यधिक काम के बोझ का सामना किया। उन्होंने कहा कि नए कर्मचारियों पर काम का इतना बोझ डालना और रविवार को भी छुट्टी न देना बहुत निंदनीय था।

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इसके साथ ही अनीता ने कंपनी से सलाह दी कि नए कर्मचारियों के लिए काम के बोझ का उचित प्रबंधन किया जाना चाहिए और उन्हें मानसिक स्वास्थ्य के प्रति कंपनी को संवेदनशील होना चाहिए।

अंतिम संस्कार कंपनी की ओर से कोई शामिल नहीं हुआ

इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने बताया कि ऐना की मृत्यु के बाद, कंपनी की ओर से कोई भी प्रतिनिधि अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुआ, जो वाक़ई काफी असंवेदनशील था। अनीता ने अपने मेल में लिखा कि

“मेरी बेटी ने अपने आखिरी सांस तक काम किया, लेकिन कंपनी ने उसकी मेहनत की कोई कद्र नहीं की।”

स्वाभाविक रूप से ऐना सेबेस्टियन की मौत ने न सिर्फ उनके परिवार को झकझोर दिया, बल्कि कई लोगों को काम के तनाव के दुष्प्रभावों पर सोचने को लेकर भी मजबूर किया है। यह मामला सिर्फ एक व्यक्तिगत दुखद घटना नहीं है, बल्कि काम के तनाव और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे को गंभीरता से संबोधित किए जाने की ज़रूरत को दर्शाता है, जिसमें आज के समय कई कंपनियाँ विफल साबित होती नजर आती हैं।

लगातार काम का बोझ, तनाव, और छुट्टी की कमी जैसी चीजों के चलते कर्मचारियों की मानसिक और शारीरिक सेहत पर बुरा असर देखनें को मिल सकता है। काम के प्रेशर आदि को लेकर सजग रहने के साथ-साथ कर्मचारियों को क़ानूनी तौर पर भी जागरूक रहने की आवश्यकता है।

आज के ऐसे वातावरण में जब तमाम कंपनियाँ अनुचित रूप से किसी न किसी तरह कर्मचारियों से अधिक से अधिक काम निकलवाने का प्रयास करती दिखाई देती हैं, ऐसे में ज़रूरी है कि कर्मचारियों को अपने अधिकारों के बारे में पूरी जानकारी हो और किसी भी तरह के शोषण को लेकर वह मुखरता से अपनी आवाज़ को सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से सामने रखें, ताकि बढ़ते ‘तनावपूर्ण वर्क-कल्चर’ को एक सामान्य प्रथा बनने से रोका जा सके।

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