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Infosys संस्थापक नारायण मूर्ति को ‘कोचिंग कल्चर’ पर विश्वास नहीं, बोले, ‘ये गलत तरीका’

Infosys संस्थापक नारायण मूर्ति को ‘कोचिंग कल्चर’ पर विश्वास नहीं, बोले, ‘ये गलत तरीका’

  • नारायणमूर्ति नहीं रखते 'कोचिंग क्लासेस' में विश्वास
  • कोचिंग क्लासेस परीक्षा पास करवाने का गलत तरीका?
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Infosys Founder Narayana Murthy Talks About Coaching Classes: भारतीय आईटी सेक्टर के जाने माने नाम Infosys के संस्थापक, एन.आर. नारायण मूर्ति ने हाल ही में बेंगलुरु में एक कार्यक्रम के दौरान कोचिंग कल्चर को लेकर अपनी राय साझा की। मूर्ति का मानना है कि कोचिंग क्लासेस केवल उन छात्रों के लिए जरूरी हैं, जो स्कूल में अपने शिक्षकों की बातों पर पर्याप्त ध्यान नहीं देते हैं।  आपको बता दें, उन्होंने यह बयान 9 सितंबर को “कांसेप्चुअल फिजिक्स” पुस्तक के 13वें संस्करण के अनावरण के मौके पर दिया।

नामी उद्योगपति नारायण मूर्ति ने साफ तौर पर कहा कि वह कोचिंग क्लासेस में विश्वास नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि कोचिंग क्लासेस बच्चों को केवल परीक्षा पास कराने का गलत तरीका है। अधिकांश बच्चे जो कोचिंग क्लासेस में जाते हैं, वे कक्षा में ध्यान नहीं देते। इसके चलते, उनके माता-पिता को कोचिंग क्लासेस में कुछ लाभ दिखता है।

असल में भारत में कोचिंग व्यवसाय पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है। एक अनुमान के अनुसार, कोचिंग व्यवसाय आज के समय लगभग ₹58,000 करोड़ का है और हर साल 19-20% की दर से बढ़ रहा है। वहीं ऑनलाइन कोचिंग का बाजार भी 2025 तक $2 बिलियन के पार पहुंचने की संभावना है यह अनुमानित रूप से 17% की दर से बढ़ रहा है।

Narayana Murthy Talks About Coaching Classes

हम सब जानते हैं कि भारत के राज्य राजस्थान के कोटा शहर को देशभर के सबसे बड़े कोचिंग हब के रूप में देखा जाता रहा है। लेकिन हाल के सालों में कोटा में छात्रों द्वारा आत्महत्या की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हुई है। और इसी को लेकर अब नारायण मूर्ति ने खुलकर अपनी बात रखी है। उन्होंने साफ किया कि उनके अनुसार कोचिंग संस्थानों को एकमात्र विकल्प मानना गलत है। IITs और NITs जैसी प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रवेश के लिए कोचिंग आवश्यक नहीं होनी चाहिए।

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इसके साथ ही नारायण मूर्ति ने भारतीय शिक्षा प्रणाली में एक और समस्या की ओर इशारा किया, जिसे आम भाषा में रट्टा मार प्रवृत्ति भी कह दिया जाता है। उनका मानना है कि भारत में ज्यादातर शिक्षा प्रणाली रट्टा मारने पर केंद्रित हो गई है, जो छात्रों की वास्तविक सोच और समस्या-समाधान क्षमता को विकसित होने से रोकती है।

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उन्होंने कहा कि शिक्षा का असली उद्देश्य “लर्निंग टू लर्न” यानी सीखने की कला सीखना होना चाहिए। छात्रों को ऐसे तरीके से पढ़ाया जाना चाहिए जिससे वे अपने आस-पास की समस्याओं को समझ सकें, उनका विश्लेषण कर सकें और नए समाधान ढूंढ सकें।

नारायण मूर्ति का यह बड़ा बयान ऐसे समय में आया है जब कोचिंग का बाजार देश भर में तेजी से फल-फूल रहा है। इतना ही नहीं बल्कि डिजिटल प्लेटफार्मों और स्टार्टअप्स के आने से यह और अधिक बढ़ रहा है। वैसे तो कोचिंग क्लासेस कई छात्रों को IITs, NITs और मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश दिलाने में मदद करते हैं, लेकिन सवाल इस पूरी शिक्षा प्रणाली पर भी है कि क्या यह छात्रों को वास्तविक जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार कर रही है?

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