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IndiGo एयरलाइन के पायलट प्रोजेक्ट “पिंक सीट” को लेकर शुरू हुआ विवाद

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Photo Credit: Wikimedia Commons

IndiGo Airlines Pilot Project Pink Seat: लो कॉस्ट एयरलाइन सेवा देने के लिए विख्यात IndiGo Airlines की ओर से अपनी महिला यात्रियों को लेकर एक बड़ा फैसला लिया गया है, जिसकाें लेकर उसके यात्री दो धड़े में बंटे नजर आ रहे है।

दरअसल, भारत की बड़ी एयरलाइंस कंपनी में से एक IndiGo Airlines ने महिला यात्रियों के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तहत महिलाओं को दूसरी महिला के बगल में ही सीट बुक करने का विकल्प प्रदान किया है, इस सीट को पिंक सीट नाम दिया गया है।

इस नई सुविधा को लेकर एयरलाइंस कंपनी का कहना है कि, पायलट प्रोजेक्ट के शुरू होने के बाद से पिंक सीट सुविधा का उपयोग 70% महिला कर रही हैं। लेकिन इस बीच कुछ महिला यात्रियों ने इस सुविधा को लेकर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है, उन्होंने इसे एक समस्या के तौर में बताया हैं।

क्यों हुई पिंक सीट सुविधा शुरू?

मीडिया रिपोर्ट में एक वाकए को इस सुविधा मुहैया करवाने के पीछे की वजह बताई गई है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एक महिला यात्री मुंबई से गुवाहाटी के लिए किसी फ्लाइट में यात्रा कर रही थी, रात होने पर वह अपनी सीट में सो गई। अचानक उसे महसूस हुआ कि उसका आर्मरेस्ट उठा हुआ है और उसे छुआ जा रहा है।

ऐसे ही एक अन्य मामले में एक महिला यात्री के प्राइवेट पार्ट को छूने जैसे महिला उत्पीड़न के मामले सामने आए थे। ऐसे मामलों को देखकर इंडिगो एयरलाइंस ने अपनी उड़ान सेवाओं में महिला यात्री को महिला के बगल में सीट लेने का विकल्प दिया था, जो काफ़ी लोकप्रिय भी हुआ था लेकिन अब इस सुविधा को लेकर एक महिला पत्रकार ने प्रश्न खड़े कर दिए है।

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पत्रकार और लेखक नमिता भंडारे ने सवाल उठाया

पत्रकार और लेखक नमिता भंडारे का कहना है कि महिलाओं के लिए पिंक सीटों की सुविधा कोई स्थाई उपाय नहीं हैं। ये उपाय महिला उत्पीड़न को लेकर महज पट्टी बांधने की तरह हैं, यह उत्पीड़न की समस्याओं का इलाज नहीं हैं। ऐसे उपाय केवल बैंड-एड्स हैं, इस तरह के उपाय महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं करेंगे। उनका कहना है कि

“वो महिलाएं जो पिंक सीटें बुक नहीं करती हैं तो क्या वो किसी तरह के दुर्व्यवहार को इन्विटेशन दे रही हैं?”

वही एक और अन्य महिला रंजना कुमारी जो कि सेंटर फॉर सोशल रिसर्च की निदेशक भी है। उनका कहना है कि एयरहोस्टेस की सुरक्षा के बारे में क्या, क्या वे महिलाएं नहीं हैं? अगर महिलाओं को सार्वजनिक स्थानों से अलग कर दिया जाता है, तो क्या यह पुरातन नहीं है? इस पिंक सीटें से कुछ भी नहीं बदलेगी, ऐसे उपायों से महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जाएगी।

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