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योगी सरकार में 2.4 लाख राज्यकर्मियों का अगस्त महीने का वेतन रोका: रिपोर्ट

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Photo Credit: CM Yogi (X/@myogiadityanath)

UP Government Halts Salaries of 2.5 Lakh Employees: उत्तर प्रदेश से एक बड़ी खबर आ रही, जहां रिपोर्ट्स के अनुसार राज्य सरकार के लाखों कर्मचारियों के अगस्त महीने का वेतन रोक दिया गया है। असल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सरकार ने करीब 2.44 लाख कर्मचारियों के अगस्त महीने का वेतन रोकने का निर्णय लिया है। इसका कारण यह है कि इन कर्मचारियों ने अपनी चल और अचल संपत्तियों का विवरण जमा नहीं किया था। सरकार के नियम के अनुसार, यह विवरण मानव संपदा पोर्टल पर तय समय सीमा के भीतर अपलोड किया जाना था, और इसकी समय सीमा कई बार बढ़ाई भी जा चुकी थी।

असल में यूपी सरकार ने सभी सरकारी कर्मचारियों को निर्देश दिया था कि वे 31 अगस्त 2024 तक अपनी संपत्तियों का ऑनलाइन ब्यौरा जमा करें। लेकिन, जब तक निर्धारित समय सीमा पूरी हुई, तब तक केवल 71% कर्मचारियों ने ही इस निर्देश का पालन किया। ऐसे में जिन कर्मचारियों ने नियमों के तहत यह विवरण जमा नहीं किए हैं उनकी सैलरी रिपोर्ट्स के अनुसार रोक दी गई है।

UP Government Halts Salaries

वैसे मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अब इन कर्मचारियों को एक महीने का समय और दिया गया है ताकि वह अपनी संपत्तियों का विवरण पोर्टल पर अपलोड कर सकें। सरकार का यह नियम भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का एक प्रयास है। साथ ही कर्मचारियों की पारदर्शिता और उनकी संपत्तियों की सही जानकारी सुनिश्चित करने के मकसद से भी इसे लागू किया गया है।

दिलचस्प यह है कि इस नियम का उल्लंघन करने पर न केवल आगामी महीनों का भी वेतन रोका जा सकता है, बल्कि कर्मचारियों को प्रमोशन को लेकर भी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है और उस पर भी रोक लगाई जा सकती है।

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बताया जा रहा है कि इस संबंध में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव ने सभी विभागों के प्रमुखों को एक पत्र भी लिखा है। इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जिन कर्मचारियों ने अपनी संपत्तियों का विवरण अब तक नहीं दिया है, उनका प्रमोशन भी आगे नहीं किया जाएगा। इसको लेकर सरकारी कर्मचारी पहले भी निर्देशित किए जा चुके हैं, लेकिन नियमों की अनदेखी करने के चलते सरकार ने अब यह सख्त कदम उठाया है।

आपको बता दें, यह नियम आईएएस, आईपीएस, पीपीएस और पीसीएस अधिकारियों के समान राज्य के सभी कर्मचारियों पर लागू किया गया है, हालांकि इसमें शिक्षकों और निगम कर्मियों को शामिल नहीं किया गया है। सरकार के इस निर्णय से साफ है कि वह कर्मचारियों से अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से निभाने की अपेक्षा करती है और अगर इसकी अनदेखी की गई तो आगे और भी सख्त कदम उठाए जा सकते हैं।

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