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चुनाव आयोग की घोषणा, 18 सितंबर से शुरू होंगे जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव

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Election Commission Announced Assembly Election Dates: जैसा उम्मीद की जा रही थी, भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया है। राज्य में तीन चरणों में चुनाव होंगे, जिसमें 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को मतदान होगा। इन चुनावों की मतगणना 4 अक्टूबर को होगी। ये इसलिए खास है क्योंकि 2019 में राज्य पुनर्गठन और इसे केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर में यह पहला विधानसभा चुनाव होगा। हरियाणा में 1 अक्टूबर को मतदान होना है और रिज़ल्ट जम्मू कश्मीर के ही साथ यानी 4 अक्टूबर को आएगा।

असल में काफ़ी समय से तमाम राजनीतिक दलों ने चुनाव कराने और राज्य का पूर्ण दर्जा बहाल करने की मांग के साथ मोर्चा खोल रखा था। वहीं इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी चुनाव आयोग को निर्देश दिए थे कि वह सितंबर तक चुनाव संपन्न कराए।

Election Commission Announced Assembly Election Dates

लद्दाख के अलग केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद पहली बार जम्मू और कश्मीर के लोग 90 विधानसभा सीटों के लिए अपने प्रतिनिधि चुनेंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त के अनुसार, 90 विधानसभा क्षेत्रों में 74 सीटें अनारक्षित, 7 अनुसूचित जाति (एससी) और 9 अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित हैं।

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जम्मू-कश्मीर में कुल 87.09 लाख मतदाता हैं, जिनमें 44.46 लाख पुरुष, 42.62 लाख महिलाएं, 3.71 लाख नए मतदाता और 20.7 लाख युवा मतदाता शामिल हैं। अमरनाथ यात्रा 19 अगस्त को समाप्त होगी, और 20 अगस्त को अंतिम मतदाता सूची जारी की जाएगी।

गौर करने वाली बात ये है कि जून 2018 के बाद से जम्मू और कश्मीर राज्य में कोई भी चुनी सरकार नहीं है, प्रदेश बिना चुनी हुई सरकार के ही चल रहा है। बता दें, उस दौरान राजनीतिक गतिरोध के चलते भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के साथ अपने गठबंधन को तोड़ दिया, जिसके परिणामस्वरूप तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को पद से इस्तीफा देना पड़ा।

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वहीं इसके साथ ही राज्य का प्रशासन तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक के हाथों में चला गया, जिन्होंने 28 नवंबर, 2018 को जम्मू-कश्मीर विधानसभा को भंग कर दिया। इस घटनाक्रम के तुरंत बाद, महबूबा मुफ्ती ने कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के समर्थन से सरकार बनाने का दावा किया, लेकिन यह प्रयास विफल रहा।

स्थिति तब और गंभीर हो गई जब 19 दिसंबर, 2018 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अनुच्छेद 356 के तहत जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया। इसके बाद, 5 अगस्त, 2019 को केंद्र सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया और अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया।

राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया—जम्मू-कश्मीर और लद्दाख। तब से, जम्मू और कश्मीर की राजनीतिक स्थिति में स्थिरता की कमी बनी हुई है, जबकि पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने और विधानसभा चुनाव कराने की मांग जोर पकड़ती रही है। ऐसे में तब से अब पहली बार जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। ऐसे में देश भर की निगाहें जम्मू कश्मीर के इन चुनावों में होना लाज़मी है।

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