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1975 में शेख हसीना के पूरे परिवार की हत्या के बाद भारत ने ही दी थी उन्हें व उनकी बहन को शरण

1975 में शेख हसीना के पूरे परिवार की हत्या के बाद भारत ने ही दी थी उन्हें व उनकी बहन को शरण

  • दिल्ली के लाजपत नगर में 1981 तक रही थी, बांग्लादेशी पीएम.
  • मुक्ति संग्राम के दौरान भी शेख हसीना के परिवार की भारत ने की मदद.

Sheikh Hasina entire family murdered in 1975: बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाले दिग्गजों के रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण को खत्म करने की मांग को लेकर हुए एक महीने से ज्यादा लंबे प्रदर्शन के हिंसक रूप धारण करने के बाद बांग्लादेश पीएम शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है, और उनके लापता होने की बात सामने आ रही है।

इस बीच कुछ मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है, शेख हसीना ने अपने खिलाफ़ हो रहे प्रदर्शन के बाद बांग्लादेश को छोड़कर भारत में शरण ली है। इस बीच आपको बता दे, जब-जब शेख हसीना परिवार में संकट आया है, भारत ने उनकी मदद की है।

जी हां! शेख हसीना के परिवार और उनकी मदद भारत ने मुक्ति संग्राम के दौरान भी किया था, जिसका जिक्र शेख हसीना ने हाल में संपन्न बांग्लादेश चुनाव के दौरान भी किया था।

बांग्लादेश निर्माण में भारत की मदद

1975 में पाकिस्तान से बांग्लादेश से मुक्ति के दौरान कई प्रदर्शन हुए थे, पाक सरकार ने विरोध प्रदर्शन को दबाने के लिए कई लोगों की हत्या करवा दी थी। जब पाकिस्तान की अवाम और सरकार ने पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के लोगों के ऊपर जुर्म की सारी हदें पार कर दी थी, तब भारत उनके लिए मददगार साबित हुआ। बांग्लादेश तब के पूर्वी पाकिस्तान के नागरिकों को भारत में शरण दी गई थी।

मुक्ति संग्राम आंदोलन के मुख्य नामों में से एक शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर पाक सरकार के आखों का कांटा बन चुके थे। उनके नेतृत्व में पूर्वी पाकिस्तान की अवाम ने पाकिस्तान सरकार के खिलाफ़ मोर्चा खोल दिया था, जिसके बाद पाकिस्तान सरकार ने सेना का सहारा लेकर पूर्वी पाकिस्तान में मार काट मचा दी थी। कई पूर्वी पाकिस्तान के नागरिकों ने भारत की शरण ली थी, जिसके बाद भारत पाकिस्तान के खिलाफ़ सीधे युद्ध में उतर आया था जिसके बाद पाकिस्तान के दो भागों में बांट कर बांग्लादेश का निर्माण किया गया था।

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1975 में भारत में लिया था आश्रय

1975 में बांग्लादेश पीएम रहते हुए शेख मुजीबुर को जब सेना की टुकड़ी से विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ा और उनके परिवार सहित उनकी हत्या की योजना बनकर उनके सुरक्षा कर्मियों सहित के परिवार साहित उनके परिवार के लोगों को मार दिया गया था, उस समय शेख हसीना अपने पति के साथ जर्मनी में होने की वजह से इस योजनाबद्ध कत्लेआम में बच गई थी उन्होंने तब सुरक्षा की दृष्टि से भारत में आश्रय लिया था, वह दिल्ली के (Sheikh Hasina entire family murdered in 1975) लाजपत नगर में 1981 तक रही थी।

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