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जयपुर: बेसमेंट में पानी भरने से 3 की मौत, दिल्ली जैसे हादसे से फिर दहला दिल

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Jaipur Basement Flood Case: उत्तर भारत के अन्य तमाम हिस्सों की तरह जयपुर में भी भारी बारिश दर्ज की जा रही है। और हमेशा की तरह बारिश आते ही जगह-जगह बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो चुकी हैं। इसी दौरान अब एक बड़ी दुखद घटना देखनें को मिली है। असल में राजस्थान की राजधानी में दिल्ली जैसा हादसा हुआ है, जिसमें बेसमेंट में बारिश का पानी भर जाने के चलते 3 लोगों की मौत हो गई है।

यह घटना सीकर रोड नंबर 17 स्थित विश्वकर्मा इलाके की बताई जा रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से आ रही जानकारी के अनुसार, इस इलाक़े में अशोक कुमार सैनी नामक एक व्यक्ति के घर के बेसमेंट में भारी बारिश के कारण पानी भर गया। बेसमेंट की गहराई करीब 15 फीट थी। जब बारिश का पानी बेसमेंट में भरा तो उस समय उनके बेटे, बेटी समेत 2 अन्य रिश्तेदार बेसमेंट में भी मौजूद थे।

Jaipur Basement Flood Case

कहा जा रहा है कि पानी इस कदर भर गया कि उन्हें निकलने का भी मौक़ा नहीं मिला। इस दौरान 3 लोगों की डूबने से मौत हो गई, जबकि स्थानीय सिविल डिफेंस और एसडीआरएफ की टीम ने बचाव अभियान के तहत एक व्यक्ति को बचा लिया। इस हादसे ने कुछ ही दिनों पहले दिल्ली के एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में हुए ऐसे ही एक हादसे की याद दिला ली, जिस्मीं 3 छात्रों को अचानक लाइब्रेरी में पानी भरने के चलते अपनी ज़िंदगी गँवानी पड़ी।

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भारी बारिश ने जयपुर के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित किया है। सड़कों पर जलजमाव के कारण यातायात प्रभावित हुआ है और कई स्थानों पर सड़कें धंस गई हैं। SMS अस्पताल भी इस बारिश से अछूता नहीं रहा और इसके बेसमेंट में पानी भर गया है। इससे अस्पताल पर भी असर पड़ा।

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इतना ही नहीं बल्कि एक इलाके में बारिश के कारण सड़क धंस गई और इसमें एक स्कूल बस फंस गई। वैसे तो स्थानीय लोगों की मदद से बस में सवार बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया, लेकिन ये तमाम घटनायें एक बार फिर शासन प्रशासन की तैयारियों का सच उजागर कर दे रही हैं।

अभी पहले से ही दिल्ली में छात्र हाल में हुए हादसे को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। और ऐसे में बेसमेंट में जलभराव के चलते हुई इन मौतों ने कई बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या आज के दौर में – जब देश तकनीकी रूप से आगे निकलने के दावे कर रहा है – बुनियादी ज़रूरतों जैसे सड़क व जल की निकासी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं कर पा रहे, जिससे थोड़ी भी बारिश में जलभराव जैसी समस्या देखनें को ना मिल? क्या यह सीधे तौर पर जिम्मेदार संस्थानों की लापरवाही, भ्रष्टाचार और जवाबदेही की कमी को नहीं दर्शाता है?

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