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538 लोकसभा सीटों पर ‘डाले गए’ और ‘गिने गए’ वोटों में मिला अंतर: ADR रिपोर्ट

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Lok Sabha Election Discrepancy In Votes On 538 Seat: लोकसभा चुनाव को लेकर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की एक हालिया रिपोर्ट में कुछ ऐसे दावे किए गए हैं, जिससे चुनाव परिणामों की सत्यता पर एक बार फिर बहस शुरू होती दिखाई पड़ने लगी है। असल में ADR ने अपनी रिपोर्ट में यह कहा है कि लोकसभा चुनाव में 538 निर्वाचन क्षेत्रों में डाले गए मतों और गिने गए मतों की संख्या में असमानता पाई गई है।

जी हाँ! ADR के मुताबिक, 362 संसदीय क्षेत्रों में कुल 5,54,598 वोट कम गिने गए, जबकि 176 संसदीय क्षेत्रों में 35,093 वोट अधिक गिने गए। दिलचस्प यह है कि इस दावे के बावजूद चुनाव आयोग की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

Lok Sabha Election Discrepancy In Votes

यह जानकारी पीटीआई की ताजा रिपोर्ट के हवाले से सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, ADR ने यह भी संकेत दिया है कि अंतिम मतदान प्रतिशत डेटा जारी करने में अत्यधिक देरी, निर्वाचन क्षेत्रवार और मतदान केंद्रवार आंकड़े उपलब्ध न होना, और परिणामों की अंतिम मिलान अंकड़ों की अस्पष्टता ने चुनाव परिणामों को लेकर संदेह और सवाल पैदा हुए और अब जानकारों के अनुसार, अगर यह सच है तो ये एक व्यापक चिंता का विषय हो सकता है।

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पर फिलहाल सामने आ रही जानकारी के अनुसार, ADR ने रिपोर्ट हालाँकि यह स्पष्ट नहीं करती है कि आखिर डाले गए और गिने गए वोटों में आए इस कथित अंतर की वजह से कितनी लोकसभा सीटों पर परिणामों में बदलाव हो सकते हैं।

गौर करने वाली बात ये भी है कि गुजरात की सूरत संसदीय सीट पर कोई भी मुकाबला नहीं था। इसके बाद भी 538 संसदीय सीटों पर कुल 5,89,691 मतों का अंतर पाया गया। ADR ने दावा किया है कि चुनाव के पहले छह चरणों के लिए वोटर टर्नआउट ऐप पर दिखाए गए आंकड़े बिल्कुल सही थे, लेकिन सातवें चरण के मतदान में केवल प्रतिशत में आंकड़े दिए गए और चुनाव आयोग ने पिछले डेटा को हटा दिया।

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दिलचस्प रूप से साल 2019 के चुनाव को लेकर भी ADR ने कुछ हैरान करने वाले दावे किए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 542 निर्वाचन क्षेत्रों के मास्टर समरी में 347 सीटों पर विसंगतियां दर्ज की गई। वैसे तो 195 सीटों पर वोटों के लिहाज से कोई अंतर नहीं था। वहीं जहां अंतर मिला वहां ये अंतर एक वोट से लेकर 1,01,323 वोट तक रहा था।

देखा जाए तो ADR की नई रिपोर्ट में ये तमाम दावे चुनाव परिणामों की विश्वसनीयता पर नई बहस छेड़ सकते हैं। विपक्ष पहले से ही ईवीएम आदि पर सवाल उठता रहा है। ऐसे में अब देखना यह भी होगा कि क्ता ADR के इन दावों पर चुनाव आयोग की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी किया जाता है या नहीं?

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