South Africa Gets First Woman Chief Justice: साउथ अफ्रीका में एक ऐतिहासिक घटनाक्रम के तहत, मंडिसा माया को राष्ट्रपति सायरिल रामाफोसा द्वारा चीफ जस्टिस के रूप में नियुक्त किया गया है। 60 वर्षीय माया इस पद पर नियुक्त होने वाली पहली महिला हैं। जी हाँ! मंडिसा माया इतिहास में अपना नाम दर्ज करवाते हुए दक्षिण अफ्रीका की पहली महिला प्रधान न्यायाधीश बन गई हैं।
आपको बता दें, वह वर्तमान चीफ जस्टिस रेयमंड जोंडो की जगह लेंगी, जिनका संवैधानिक कोर्ट जज के रूप में कार्यकाल अगस्त के अंत में समाप्त हो रहा है। जानकार इसे दुनिया भर के लिए महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़े उदाहरण के तौर पर पेश कर रहे हैं।
South Africa Gets First Woman Chief Justice
खुद दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति रामाफोसा ने माया की नियुक्ति की पुष्टि की और इसकी जानकारी सोशल मीडिया के माध्यम से भी दी। राष्ट्रपति रामाफोसा ने एक बयान में कहा कि आयोग ने उनके नाम की सिफारिश की और अब उनकी नियुक्ति देश के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है।
President @CyrilRamaphosa has, in terms of Section 174(3) of the Constitution of the Republic of South Africa, 1996, appointed current Deputy Chief Justice Mandisa Maya as Chief Justice of the Republic of South Africa with effect from 1 September 2024. https://t.co/vcq2lSUHER pic.twitter.com/rrXu94zvCa
— The Presidency 🇿🇦 (@PresidencyZA) July 25, 2024
दिलचस्प रूप से मंडिसा माया की नियुक्ति इसी साल फरवरी में उनका नाम पेश होने के बाद देश के न्यायिक सेवा आयोग और राजनीतिक दलों के साथ परामर्श के बाद की गई है। ध्यान देने वाली बात ये है कि माया को इसके पहले साल 2022 में भी इस पद के लिए नामांकित किया गया था, लेकिन उस समय रामफोसा ने जोंडो को चुना था।
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वर्तमान में माया साउथ अफ़्रीका की शीर्ष अदालत में मौजूद चार महिलाओं में से एक हैं। फिलहाल वह जजों के दल की उपमुख्य न्यायाधीश के रूप में अपनी सेवाएँ ड़े रही हैं। उनके निजी जीवन पर नजर डालें तो वह तीन बच्चों की मां हैं। उन्होंने 1989 में अमेरिका के ड्यूक विश्वविद्यालय में कानून में स्नातकोत्तर करने के लिए ‘फुलब्राइट छात्रवृत्ति’ प्राप्त करने में भी सफ़लता हासिल की थी।
यह इसलिए भी खास हो जाता है क्योंकिदक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के दौर में किसी युवा अश्वेत महिला द्वारा यह उपलब्धि हासिल करना उस समय वाक़ई बड़ी बात थी। इस बीच इस नियुक्ति के साथ साउथ अफ्रीका में न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी को एक नया आयाम मिला है।
गौर करने वाली चीज़ है कि साउथ अफ्रीका के संविधान को दुनिया के सबसे प्रगतिशील संविधान में से एक माना जाता है, और यहाँ सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी 40 प्रतिशत से अधिक है, जिसमें राष्ट्रीय सभा की अध्यक्ष और उनकी उपाध्यक्ष भी शामिल हैं। और अब इसमें एक नया अध्याय भी जुड़ गया है। दक्षिण अफ्रीका की प्रधान न्यायाधीश के पद पर माया का कार्यकाल एक सितंबर से प्रारंभ होगा।