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Microsoft फिर हो सकता है आउटेज का शिकार? कंपनी ने खुद कही ये बात

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Credits: Wikimedia Commons

Microsoft Outage Could Happen Again?: कुछ ही दिनों पहले दुनिया भर में Microsoft Windows आधारित कम्प्यूटर सिस्टम मानों ठप से पड़ गए थे। Microsoft Windows आधारित सिस्टम में ब्लू स्क्रीन ऑफ डेथ की समस्या देखनें को मिली थी, जिसके चलते भारत समेत दुनिया भर के देशों में एयरलाइंस से लेकर बैंक, रेलवे, प्राइवेट ऑफिस आदि व्यापक रूप से प्रभावित हुए थे।

साइबर सिक्योरिटी कंपनी CrowdStrike के नए अपडेट के चलते सामने आई इस आउटेज ने सबको हिला कर रख दिया और तमाम देशों को लगभग कई बिलियन डॉलर का नुक़सान सहना पड़ा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आने वाले दिनों में ऐसा ही आउटेज फिर देखनें को मिल सकता है। जी हाँ! खुद Microsoft की ओर से ऐसी संभावना व्यक्त की गई है।

Microsoft Outage Could Happen Again?

असल में टेक दिग्गज Microsoft का कहना है कि भविष्य में भी ऐसी आउटेज की घटनाएं हो सकती हैं और कंपनी इन्हें रोक पाने में असमर्थ हो सकती है। कंपनी ने इसके पीछे एक महत्वपूर्ण कारण बताया है। कंपनी के अनुसार, यूरोपीय आयोग द्वारा बनाए गए एक नियम के चलते ऐसा होने की संभावना बढ़ जाती है।

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असल में यूरोपियन यूनियन द्वारा बनाए गए एक नियम के तहत टेक कंपनी को थर्ड-पार्टी वेंडर्स को अपने ऑपरेटिंग सिस्टम यानी OS का फुल कर्नेल एक्सेस देना पड़ता है। इसको आसान भाषा में समझने की कोशिश करें तो CrowdStrike के पास भी लगभग Windows का उतना ही एक्सेस है, जितना Microsoft के इंजीनियर्स के पास होता है। ऐसे में किसी भी गलती के गंभीर आयर व्यापक परिणाम देखनें को मिल सकते हैं।

जाहिर है Microsoft का कहना है कि वह भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोक पाने में असमर्थ हो सकते हैं, और ये चिंताजनक विषय है। असल में तकनीकी क्षेत्र में सुरक्षा और नियंत्रण कई स्तरों पर उपलब्ध होने से उसमें खामी या गलती की गुंजाइश भी बढ़ जाती है, और ऐसे में Microsoft के लिए सिस्टम का सुचारु संचालन सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती बन गई है।

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वैसे कई जानकारों का मनाना है कि हाल के वैश्विक आउटेज को देखते हुए टेक सेक्टर में सुरक्षा और नियंत्रण के मानकों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। यूरोपीय आयोग के नए नियम, जिसके तहत थर्ड-पार्टी वेंडर्स को भी ऑपरेटिंग सिस्टम का लगभग पूरा एक्सेस देना पड़ता है, के चलते सुरक्षा खतरों की संभावना और भी बढ़ गई है।

फिलहाल यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वले दिनों में ऐसी और घटनायें देखनें को न मिले, इसके लिए वैश्विक रूप से EU व अन्य नियामक किस तरह के कदम उठाते हैं? लेकिन इतना ज़रूर तय है कि हाल के आउटेज ने तकनीकी सुरक्षा को पुनः प्राथमिक स्वरूप प्रदान किया है, क्योंकि दुनिया भर की तमाम अहम सेवाओं की निर्भरता एक बड़ी जिम्मेदारी है। और हर कंपनी आउटेज जैसी आपातकालीन स्थितियों से बचना ही चाहती है।

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