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मराठा आरक्षण: मनोज जरांगे की भूख हड़ताल स्थगित, सरकार को 13 अगस्त तक की डेडलाइन

मराठा आरक्षण: मनोज जरांगे की भूख हड़ताल स्थगित, सरकार को 13 अगस्त तक की डेडलाइन

  • मनोज जारंगे का शिंदे सरकार को फिर अल्टीमेटम
  • जरांगे ने स्थगित किया अपना अनशन, जानें कारण?
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Maratha Reservation Manoj Jarange Patil New Deadline To Govt: मराठा आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र में विवाद थमने के बजाए बढ़ता ही जा रहा है। इस आंदोलन में एक प्रमुख चेहरा बनकर उभरे मनोज जरांगे ने एक बार फिर राज्य की एकनाथ शिंदे सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी है। असल में मनोज जरांगे ने अब सरकार को नया अल्टीमेटम देते देते, अपने अनशन को फिलहाल के लिए स्थगित करना का ऐलान कर दिया है।

जी हाँ! महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन के नेतृत्वकर्ता कहे जाने वाले मनोज जरांगे ने प्रदेश की सरकार को 13 अगस्त तक की डेडलाइन दी। इसी के साथ ही मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने लगभग 4 दिनों बाद आज बुधवार को अपनी भूख हड़ताल स्थगित कर दी है।

Maratha Reservation Manoj Jarange Patil New Deadline To Govt

असल में मनोज जरांगे ने बताया कि उन्हें मंगलवार रात को वह बिमार थे और उनका शुगर लेवल 60 तक गिर गया था। इसके चलते उनके साथियों ने उनसे सलाइन लगा लेने का अनुरोध किया। ऐसे में अब वह सलाइन के साथ भूख हड़ताल नहीं करेंगे। इतना ही नहीं बल्कि अब उन्होंने सरकार को 13 अगस्त तक की डेडलाइन दी है।

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जरांगे के अनुसार, वह अनशन नहीं खत्म करना चाहते थे, लेकिन उनके साथियों ने कहा कि अगर उन्हें कुछ हो गया तो आरक्षण के अधिकारों के लिए कौन खड़ा होगा और वह रहेंगे तो ही लोगों को आरक्षण मिल सकता है। ऐस में लोगों का कहना रहा कि समाज को न्याय मिले इसके लिए उन्हें अपने स्वास्थ्य के साथ इतना समझौता नहीं करना चाहिए।

फिलहाल मनोज जरांगे ने सरकार दो महीने का समय चाहती थी, जिसके मुताबिक़ अब वह 13 अगस्त तक की डेडलाइन दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को दो महीने का समय चाहिए था, जो हम उन्हें दे रहे हैं।

आपको बता दें, महाराष्ट्र सरकार ने मराठा आरक्षण के संबंध में फैसले हेतु मनोज जरांगे व अन्य आंदोलनकारियों से दो महीने का समय मांगा था। हालांकि जरांगे ने सरकार को 13 जून से 13 जुलाई तक समय दिया था। लेकिन सरकार द्वारा कुछ कदम नहीं उठाने के बाद मनोज जरांगे एक बार फिर 20 जुलाई से भूख हड़ताल पर बैठ गए थे। पर मंगलवार रात को सामने आ रही जानकारी के अनुसार, उनकी तबीयत काफी बिगड़ने लगी और जिसकी वजह से उन्हें रात में ही सलाइन लगाई गई।

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इसके पहले सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे निरंतर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर आरोप लगाते रहे हैं कि सीएम नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत आरक्षण देने की प्रक्रिया में जानबूझकर देरी कर रहे हीयन।

आपको बता दें इस आंदोलन के तहत मनोज जरांगे व अन्य आंदोलनकारियों की मांगों में कुनबी समुदाय को मराठा समुदाय के सदस्यों से खून का रिश्ता रखने वाले के रूप में मान्यता देने वाले मसौदे की अधिसूचना को लागू करने से लेकर मराठाओं को ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण देने जैसी बातें शामिल हैं। बता दें, कुनबी असल में एक कृषक समुदाय है, जिन्हें महाराष्ट्र में ओबीसी का दर्जा प्राप्त है। ऐसे में जरांगे मांग कर रहे हैं कि सभी मराठाओं को कुनबी प्रमाण पत्र जारी किया जाए ताकि वे सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण हेतु पात्र बन सके।

जरांगे के खिलाफ कोर्ट का वारंट?

वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मनोज जरांगे पाटिल के ख़िलाफ़ महाराष्ट्र में पुणे की एक अदालत ने मंगलवार को गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया। बताया जा रहा है कि मनोज जरांगे के खिलाफ साल 2013 के धोखाधड़ी से जुड़े एक मामले में यह वारंट जारी किया गया है।

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