New debate regarding disabled quota due to statement of female IAS: पूजा खेड़कर के दिव्यांग प्रमाण पत्र में उठा विवाद अभी खत्म नहीं हुआ था, अब एक और महिला आईएएस अधिकारी ने एक ऐसी टिपण्णी की है, जो एक नए विवाद का कारण बन गया है। महिला आईएएस स्मिता संभरभाल के दिव्यांग उम्मीदवारों के आईएएस चयन को लेकर टिपण्णी करके नए विवाद को जन्म दे दिया है। जिसके बाद से ही सोशल मीडिया मे अब नई बहस का जन्म दिया है।
दरअसल तेलंगाना वित्त आयोग की सदस्य और वरिष्ठ आईएएस महिला अधिकारी स्मिता संभरभाल ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से सिविल सेवा परीक्षा में दिव्यांग आरक्षण देने पर ही प्रश्न खड़ा किया है। उन्होंने अपनी पोस्ट में कहा कि जमीनी स्तर में काम करने की वजह से आईएएस, आईपीएस जैसे प्रतिष्ठित सेवा में काम करने में विकलांगो को असुविधा होती है।
उन्होंने अपनी एक पोस्ट के माध्यम से पूछा कि,
“जैसे-जैसे यह बहस तेज़ होती जा रही है- दिव्यांगों के प्रति पूरे सम्मान के साथ। क्या कोई एयरलाइन विकलांग पायलट को नियुक्त करती है? या क्या आप किसी विकलांग सर्जन पर भरोसा करेंगे। #AIS (IAS/IPS/IFoS) की प्रकृति फील्ड-वर्क, लंबे समय तक काम करना, लोगों की शिकायतों को सीधे सुनना है – जिसके लिए शारीरिक फिटनेस की आवश्यकता होती है। इस प्रमुख सेवा को सबसे पहले इस कोटा की आवश्यकता क्यों है! #सिर्फ पूछ रहे।”
अब उनका पोस्ट सोशल मीडिया में वायरल हो चुका है। पोस्ट को लेकर कई मिली जुली प्रतिक्रिया के बीच पोस्ट को लेकर उनकी आलोचना और उनकी सोच को लेकर संकुचित मानसिकता का होने के आरोप भी लगाए जा रहें है।
As this debate is blowing up-
With all due respect to the Differently Abled. 🫡
Does an Airline hire a pilot with disability? Or would you trust a surgeon with a disability.The nature of the #AIS ( IAS/IPS/IFoS) is field-work, long taxing hours, listening first hand to…
— Smita Sabharwal (@SmitaSabharwal) July 21, 2024
शिवसेना राज्यसभा सांसद ने की आलोचना
उनकी पोस्ट में टिप्पणी करते हुए शिवसेना नेता और राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि, यह बहुत ही दयनीय और बहिष्करणीय दृष्टिकोण है। यह देखना आश्चर्य भरा है कि नौकरशाह कैसे अपनी सीमित सोच और अपने विशेषाधिकार का भी प्रदर्शन कर रहे हैं।
This is such a pathetic and exclusionary view to have. Interesting to see how bureaucrats are showing their limited thoughts and their privilege too https://t.co/n2seGiI0qP
— Priyanka Chaturvedi🇮🇳 (@priyankac19) July 21, 2024
प्रियंका चतुर्वेदी के अलावा सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता करुणा नंदी ने भी महिला आईएएस की सोशल मीडिया पोस्ट में आक्रोश व्यक्त किया। उन्होंने लिखा कि, उन्हे ताज्जुब है एक आईएएस अधिकारी विकलांगता के बारे में इतनी अनभिज्ञ हो।सकती है। अधिकांश विकलांगता मामले में व्यक्ति की सहनशक्ति या उसके बुद्धिमता में कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
न्यूज़North अब WhatsApp पर, सबसे तेज अपडेट्स पानें के लिए अभी जुड़ें!
लेकिन संभरवाल की सोशल मीडिया पोस्ट दिखाती है उन्हें ही ज्ञान और (New debate regarding disabled quota due to statement of female IAS) विविधता की जरूरत है।