Delhi first hybrid court: दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने पहला पायलट हाइब्रिड कोर्ट रूम शुरू किया है जिसमें ‘स्पीच टू टेक्स्ट’ की सुविधा है। ये कोर्ट रूम आर्टिफिशिल इंटेलिजेंस तकनीकी के सहयोग से संचालित होने वाला पहला ऐसा कोर्ट रूम होगा, जो कोर्ट में मौजूद कर्मचारियों ख़ासकर (स्टेनो टाइपिस्ट) और न्यायधीशों के लिए उपयोगी और मददगार साबित होगा।
एआई मॉडल से समय की होगी बचत
दिल्ली में पहले हाइब्रिड कोर्ट रूम का शुभारंभ चीफ जस्टिस मनमोहन, जस्टिस राजीव शखदर और जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने किया है। राजीव शखदर ने इसका उद्घाटन करते हुए कहा कि जो काम जज पहले मैन्युअल तरीके से करते थे, अब उस काम को करने में मशीन सहायता करेगा, सचमुच मशीन एक वरदान है। उन्होंने आगे कहा कि अभी तक पीड़ितों द्वारा दिए गए सबूतों को जज अपनी भाषा में बदलते थे, लेकिन अब पीड़ित अपनी भाषा में गवाह पेश करेगा और यह जज के लिए उपलब्ध होगा। एआई तकनीकी के माध्यम से कोर्ट रूम में मैन्युअल काम मशीनी सहायता से करके समय को बचाया जायेगा।
#WATCH | Delhi High Court gets its first Pilot Hybrid Court room with ‘speech to text’ facility. pic.twitter.com/NJYUvkImyn
— ANI (@ANI) July 20, 2024
डिजिटल कोर्ट ऐप भी लॉन्च
कोर्ट की कार्यवाही में अधिक से अधिक तकनीकी संसाधनों का उपयोग करते हुए समयसीमा को कम करते हुए न्याय में होने वाली देरी को कम करने के लिए तकनीकी एक आधार बन सकती है, इसी को देखते हुए दिल्ली में पहला हाइब्रिड कोर्ट रूम और एक ऐसा डिजिटल कोर्ट ऐप भी लॉन्च किया गया है, जिसकी सहायता से सभी भौतिक दस्तावेजों की ई फाइलिंग और ई डेटा एकत्रित किया जा सकें।
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कोर्ट में प्रयोग की जा रही ऐप के निर्माता वकील
कोर्ट में AI तकनीकी आधारित ऐप बनाने का श्रेय उत्कर्ष श्रीवास्तव को जाता है, उन्होंने अपनी एआई ऐप निर्माण करने की प्रेरणा को लेकर बताया की वे खुद एक वकील है और 2012 से वकालत कर है। कोर्ट रूम में जज और स्टाफ की परेशानी और कोर्ट कार्यवाही में मैनुअल कार्य से काफी अधिक समय मेहनत लगती है। उनका मानना है, कई छोटे कोर्ट में देखें तो वहां स्टेनोग्राफर ही नहीं हैं तो जज खुद अपने हाथ से लिखते हैं, इन परिस्थितियों (Delhi first hybrid court) को देखने के बाद उन्हें इस बात की प्रेरणा मिली।