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आरक्षण को लेकर बांग्लादेश में सड़कों पर बवाल, जानें क्या हैं प्रावधान?

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Reservation dispute in Bangladesh: बांग्लादेश में स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को नौकरी में 30 प्रतिशत आरक्षण वाले कानून को रद्द करने के लिए स्थानीय नागरिकों ने प्रदर्शन शुरु कर दिया है,  प्रदर्शनकारियों की मांग है कि देश में आरक्षण की सीमा 56% से घटाकर सिर्फ 10% की जाए। इसके अलावा प्रदर्शनकारियों ने सभी के लिए एक समान परीक्षा, समान उम्र, दोहरे आरक्षण के इस्तेमाल पर रोक जैसी मांगें भी की है।

बांग्लादेश में 30% आरक्षण स्वतंत्रता सेनानी के बच्चों प्राप्त

बांग्लादेश के निर्माण से पूर्व बांग्लादेश पाकिस्तान का हिस्सा हुआ करता था, लेकिन उस दौरान क्षेत्र में पाकिस्तान सरकार की नीतियों और सरकार के खिलाफ़ काफ़ी प्रदर्शन हुआ था, क्षेत्र के लोगों की स्वतंत्र बांग्लादेश बनाने की मांग थी। पाक सरकार ने उस समय ऐसे प्रदर्शनों को कुचलने और दबाने के लिए क्षेत्र में साम दाम दण्ड भेद सभी विधा का प्रयोग किया था। उस दौरान वर्ष 1971 में पाकिस्तान से आजादी की लड़ाई में लड़ने वाले लोगों के बच्चों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत सीटें आरक्षित की गई हैं।

जिसका आदेश बांग्लादेश के संस्थापक पिता शेख मुजीबुर रहमान ने 1972 को आरक्षण देश में लागू किया था।

आरक्षण के खिलाफ़ प्रदर्शन

सरकार के आरक्षण के फैसले के खिलाफ़ देश के अन्य नागरिकों ने प्रदर्शन शुरु किया है, बांग्लादेश में फिलहाल 56% आरक्षण लागू है, जिसमें 30% स्वतंत्रता सेनानी के परिवार, महिलाओं और पिछड़े जिलों के लिए 10-10 प्रतिशत, अल्पसंख्यकों के लिए 5 प्रतिशत और शारीरिक रूप से विकलांग लोगों के लिए एक प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है। प्रदर्शनकारियों की मांग है, सरकार उक्त 56% आरक्षण को खत्म करके सिर्फ़ 10% आरक्षण रहने दे।

हिंसक प्रदर्शन क्यों?

छात्रों के प्रदर्शन को लेकर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने एक बयान देकर आग में घी डालने का काम किया, प्रदर्शन और प्रदर्शनकारियों  को लेकर बांग्लादेश पीएम हसीना ने बयान दिया था कि, अगर स्वतंत्रता सेनानियों के पोते-पोतियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा तो क्या रजाकारों के पोते-पोतियों (Reservation dispute in Bangladesh)  को मिलेगा।

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बता दे, बांग्लादेश में रजाकार शब्द उन लोगों के लिए प्रयोग में लिया जाता है, जिन्होंने 1971 के मुक्ति संग्राम में पाकिस्तान सरकार की मदद की थी, एक प्रकार से रजाकार शब्द गद्दारों के लिए प्रयोग में लिया जाता है। हसीना के बयान को प्रदर्शनकारियों ने अपना अपमान मानते हुए देश में हिंसक प्रदर्शन शुरु कर दिया।

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