LG powers increased over Jammu and Kashmir: सुप्रीम कोर्ट की जम्मू कश्मीर में चुनाव संपन्न किए जाने की सितंबर तक की समयसीमा के बीच केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन अधिनियम 2019 में कुछ संशोधन करते हुए राज्य से केंद्र शासित प्रदेश बने राज्य में राज्यपाल को अतिरिक्त शक्तियां प्रदान की है।
केंद्र सरकार के फैसले का जहा स्वागत किया जा रहा है, तो वही राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सरकार के फैसले को लेकर तल्ख टिप्पणी की है।
दरअसल एनडीए गठबंधन वाली केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने पूर्ण राज्य से केंद्रशासित प्रदेश बने जम्मू कश्मीर में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन करते हुए मुख्य नियमों में नियम 42 के बाद 42A जोड़ दिया है।
जिसके बाद केंद्र शासित प्रदेश में राज्यपाल को राज्य के कई फैसले लेने के लिए अतिरिक्त शक्तियां प्राप्त हुई है। इसमें राज्यपाल राज्य के विधि और महाधिवक्ता को नियुक्ति का अधिकार प्राप्त हो गया है, इसके साथ ही राज्य में नियुक्त अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों, पुलिस के तबादलों और पोस्टिंग के साथ साथ न्यायिक अधिकारियों के पोस्टिंग स्थानांतरण का अधिकार भी प्राप्त हुआ है।
मुख्य नियमों में 42A और 42 B को जोड़ा गया
पूर्ण राज्य से केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिए जानें के बाद से ही राज्य में लागू विशेष कानून में निरंतर सुधार किया जा रहा है, जिससे लंबे समय से आतंक का दंश झेल रहा प्रदेश के नागरिक देश के अन्य प्रदेशों के सामान मुख्य धारा में शामिल हो सके।
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ऐसे में केंद्र सरकार ने अब जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 में संशोधन करते हुए मुख्य नियम 20 में नियम A और B को जोड़ा है, जिसमे राज्यपाल को राज्य में विशेष शक्तियां प्राप्त हुई है। 42 A में जहा नियुक्तियों का अधिकार राज्यपाल को प्राप्त हुआ है, तो वही 42 B स्पष्ट करता है कि, अभियोजन स्वीकृत देने या अस्वीकार करने या अपील दायर करने का प्रस्ताव (LG powers increased over Jammu and Kashmir) भी एलजी द्वारा ही दिए जायेंगे।