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दिल्ली यूनिवर्सिटी में लॉ के छात्रों को मनुस्मृति पढ़ाने का प्रस्ताव किया गया रद्द

दिल्ली यूनिवर्सिटी में लॉ के छात्रों को मनुस्मृति पढ़ाने का प्रस्ताव किया गया रद्द

  • दिल्ली यूनिवर्सिटी में मनुस्‍मृत‍ि पढ़ाने का प्रस्‍ताव खार‍िज
  • वाइस चांसलर ने नहीं दी अनुमत‍ि, आज होनी थी चर्चा
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Delhi University & Manusmriti Row: दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) में लॉ या कहें तो LLB के छात्रों को मनुस्मृति पढ़ाने का प्रस्ताव विवादों से घिर चुका है। आलम ये है कि तमाम विवादों को देखते हुए आखिरकार इस प्रस्ताव को खारिच कर दिया गया है। जी हाँ! खुद वाइस चांसलर (VC) ने मनुस्मृति को पढ़ाए जाने को लेकर उठ रहे कई सवालों व विवादों को देखते हुए इस प्रस्ताव को रद्द कर दिया है।

असल में पूरा मामला DU की लॉ फ़ैकल्टी द्वारा पेश एक प्रस्ताव से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने एलएलबी के प्रथम और तृतीय वर्ष के छात्रों को ‘मनुस्मृति’ पढ़ाने के लिए पाठ्यक्रम में संशोधन की मांग की थी। यह मांग लॉ फ़ैकल्टी की ओर से दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) के संबंध में अंतिम निर्णय लेने वाली समिति से की गई थी।

Delhi University Manusmriti Proposal

आज शुक्रवार को ‘मनुस्मृति’ को संबंधित पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने के प्रस्ताव पर अकादमिक परिषद की बैठक में चर्चा होनी थी, लेकिन इसके पहले ही डीयू के शिक्षकों के एक हिस्‍से ने इसकी आलोचना करते हुए विरोध दर्ज करवाना शुरू कर दिया। देखते ही देखते यह मुद्दा सोशल मीडिया पर भी वायरल होने लगा और एक व्यापक चर्चा का विषय बनता नजर आने लगा।

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लेकिन अब यह विवाद कोई बड़ा स्वरूप लेता इसके पहले ही यूनिवर्सिटी प्रशासन ने DU लॉ फ़ैकल्टी के प्रस्‍ताव को रद्द कर दिया। मीडिया रिपोर्ट्स में दिल्ली यूनिवर्सिटी के संबंधित अधिकारियों के हवाले से यह बताया गया है कि DU के लॉ अंडरग्रेजुएट कोर्स में मनुस्मृति पढ़ाने के लिए लॉ फ़ैकल्टी के प्रस्‍ताव को रद्द कर दिया गया है।

प्रस्ताव के तहत जिन संशोधनों की बात कही गई थी, उसमें मनुस्मृति पर दो टेक्‍स्‍ट, जी.एन. झा द्वारा लिखित “मनुस्‍मृति साथ में मेधातिथि की मनुभाष्‍य” और टी. कृष्‍णास्वामी अय्यर द्वारा लिखित “स्‍मृतिचंद्रिका” – मनुस्‍मृति पर एक टिप्‍पणी को छात्रों के लिए शामिल किए जाने का भी जिक्र था।

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आपको बता दें, इस संशोधन के लिए सुझाव देने का निर्णय लॉ फ़ैकल्टी की पाठ्यक्रम समिति ने 24 जून को आयोजित की गई एक बैठक में सर्वसम्‍मति से लिया था। प्रस्ताव की बात सर्वजानिक होने के बाद से ही कैंपस में शिक्षकों से लेकर सोशल मीडिया तक में हंगामा शुरू होता नजर आया। बताया जा रहा है कि सोशल डेमोक्रेटिक टीचर फ्रंट (SDTF) ने भी इसके खिलाफ आवाज उठाई।

क्या है मनुस्‍मृति?

मनुस्‍मृति को आमतौर पर मानव धर्मशास्त्र या मनु संहिता के नाम से भी जाना जाता है। इसे हिंदू धर्म के सबसे चर्चित टेक्‍स्‍ट में गिना जाता है। इसे संस्‍कृत भाषा में लिखा गया है, जिसमें धर्म, नीति, कानून और सामाजिक व्‍यवस्‍था से तमाम पहलुओं का व्यापक तौर पर जिक्र देखनें को मिलता है। इसके कुल 12 अध्‍यायों में 2684 श्‍लोक शामिल हैं। वैसे कुछ संस्‍करणों में श्‍लोकों की संख्‍या 2964 भी बताई जाती है।

मनुस्‍मृति को लिखने वाले भगवान मनु थे, जिन्हें भगवान विष्‍णु के अवतार के रूप में भी मान्यता दी जाती है। लेकिन मनुस्‍मृति में वर्णित कुछ विषयों को लेकर हमेशा से विवाद रहा है, उदाहरण के लिए इसमें वर्णित जाति व्‍यवस्‍था और महिलाओं की स्थिति को लेकर अक्सर मतभेद देखनें को मिलते हैं।

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