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आरोपी के लिए पुलिस के साथ अपनी गूगल लोकेशन शेयर करना नहीं हो सकती जमानत की शर्त: सुप्रीम कोर्ट

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Sharing location is a violation of privacy Supreme Court: दिल्ली हाईकोर्ट के एक फैसले को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति जताते हुए, फैसले को रद्द कर दिया है। मामला एक नाजीरियन नागरिक की जमानत में संबंध में दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा लगाई एक शर्त से संबंधित था, जिसके खिलाफ नाजीरियन नागरिक ने सुप्रीम कोर्ट पर अर्जी दाखिल की थी।

दरअसल नाजीरियन नागरिक को ड्रग्स केस में आरोप में दिल्ली हाइकोर्ट में पेश किया गया था, ऐसे में हाई कोर्ट ने नाजीरियन नागरिक को जमानत देने के लिए एक शर्त रखी थी, शर्त के अनुसार उसे अपने मोबाइल में गूगल मैप पिन को जांच अधिकारी के साथ शेयर करने को कहा था ताकि उसकी लोकेशन को ट्रैक किया जा सके।

कोर्ट द्वारा जमानत के लिए दी गई ऐसी अजीब शर्त को लेकर नाजीरियन नागरिक ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दी गई इस शर्त को खारिज कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

पूरे मामले की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा, जमानत देने की एवज में कोई ऐसी शर्त नहीं लगाई जा सकती जिसके जरिए किसी की भी गतिविधियों पर लगातार नजर रखी जाए। किसी से गूगल पिन लोकेशन साझा करने की मांग भी ऐसी शर्त है, जो व्यक्ति की निजता का उल्लंघन करती है।

क्या है, गूगल मैप पिन

एंड्रॉयड स्मार्टफोन और टैबलेट उपयोगकर्ता को टेक दिग्गज कंपनी Google लोकेशन शेयरिंग एक फीचर उपलब्ध करवाता है, जिसकी  मदद से आप किसी को भी रियल टाइम लोकेशन शेयर कर सकते हैं। इसकी सहायता से कोई भी उपयोगकर्ता अपनी लोकेशन जिसके पास अपनी लोकेशन को शेयर करेगा, वो यह आसानी से देख लेगा कि आप कहां पर हैं।

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ऐसे में हाईकोर्ट की जमानत के लिए दी गई विदेशी नागरिक को यह शर्त उसकी पल पल की जानकारी जांच टीम के पास होती लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जमानत की इस शर्त को निजता का (Sharing location is a violation of privacy Supreme Court)  उल्लघंन बताते हुए खारिज कर दिया है।

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