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नए कानूनों के तहत दिल्ली नहीं बल्कि ‘ग्वालियर में दर्ज हुई पहली FIR’, जानें गृह मंत्री अमित शाह ने क्या बताया?

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Three new laws come into force, Amit Shah press conference: केंद्र सरकार द्वारा लाए तीन नए कानून को राष्ट्रपति से मंजूरी के बाद आज पूरे देश में इसे लागू कर दिया गया है, लेकिन अब इस नए कानून को लेकर विपक्ष ने सवाल उठाने के साथ आलोचना भी शुरू कर दी हैं।

दरअसल देश भर में मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने तीन नए कानून लागू किए है, अब इसे लेकर मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि इस कानून में पिछले से कोई ज्यादा अंतर नहीं है और इसमें बस कमिया ही हैं।

कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने एनडीए सरकार द्वारा लागू किए गए कानून को लेकर कहा, ये सिर्फ़ कॉपी पेस्ट कानून है। अब कांग्रेस नेता और कांग्रेस द्वारा एनडीए सरकार की आलोचना करने पर देश के गृहमंत्री अमित शाह ने मीडिया से मुखातिब होते हुए तीनों कानूनों के बारे में स्पष्ट जानकारी दी है।

गृहमंत्री अमित शाह ने क्या कहा?

गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को तीन नए कानूनों के अमल में आने का ऐलान किया. उन्होंने कहा,

“आजादी के 77 सालों बाद हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली पूर्णत: स्वदेशी और अपनी संस्कृति के अनुरूप होगी। अब दंड की जगह न्याय ले लेगा, सबसे पहले दफाओं और चैप्टर्स की प्राथमिकता तय की गई है और इसमें पहला अध्याय महिलाओं और बच्चों के लिए है।”

नया कानून लागू होने के बाद पहला मामला एमपी में दर्ज

मीडिया के द्वारा पूछे गए एक सवाल को लेकर अमित शाह ने स्पष्ट किया कि नए आपराधिक कानूनों के तहत पहला मामला दिल्ली में दर्ज नहीं हुआ है, बल्कि भारतीय संविधान में नए कानून लागू होने के बाद पहला मामला मध्यप्रदेश के ग्वालियर में दर्ज किया गया था। शाह ने कहा कि दिल्ली के कमला मार्केट थाने में दर्ज मामला नए कानूनों के तहत दिल्ली में दर्ज किए गए पहले मामलों में से एक था।

 

गृहमंत्री ने अपने बयान में कहा कि, नए कानूनों के तहत पहला मामला ग्वालियर के एक पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया है। यह चोरी का मामला था, किसी की मोटरसाइकिल चोरी हो गई थी। मामला रात 12 बजकर 10 मिनट पर दर्ज (Three new laws come into force, Amit Shah press conference) किया गया।

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उन्होंने स्पष्ट किया कि, यह झूठ है कि पहला मामला स्ट्रीट वेंडर के खिलाफ दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा, तीनों कानूनों के एक बार पूरी तरह से क्रियान्वित हो जाने के बाद एफआईआर दर्ज किए जाने से लेकर सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिलने तक 3 साल से अधिक वक्त का समय नहीं लगेगा और मुझे इस पर भरोसा है।

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