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फाइनेंशियल इनफ्लूएंसर्स पर SEBI हुआ सख्त, प्रस्ताव को मंजूरी, लगे ये प्रतिबंध?

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SEBI Ban Registered Entities Partnering Financial Influencers: पिछले कुछ समय से इंटरनेट व सोशल मीडिया में फाइनेंशियल इनफ्लूएंसर्स के बढ़ते प्रभाव और बढ़ती धोखाधड़ी जैसी घटनाओं को लेकर भारतीय बाजार नियामक – भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड यानी SEBI काफी गंभीर नजर आया है। और अब SEBI ने इस संबंध में कड़े कदम भी उठाने शुरू कर दिए हैं।

भारतीय शेयर बाजार में तेजी से बढ़ रहे फाइनेंशियल इनफ्लूएंसर्स के प्रभावों को देखते हुए, सेबी ने गैर-रजिस्टर्ड फाइनेंशियल इनफ्लूएंसर्स  को रेग्यूलेट करने से संबंधित एक अहम प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की है। सेबी द्वारा गैर-रजिस्टर्ड फाइनेंशियल फ्लूएंसर्स को रेग्यूलेट करने के लिए बनाए गए इन नए नियमों का मकसद निवेशकों को प्राधिकृत और सुरक्षित डीलिंग प्रदान करना है।

SEBI Ban Registered Entities Partnering Financial Influencers

नए नियमों के तहत SEBI ने बाजार से जुड़े रेग्यूलेटेड व्यक्तियों या कहें तो ब्रोकर्स और उनके एजेंट्स के फाइनेंशियल इनफ्लूएंसर्स के साथ किसी भी प्रकार की डील करने पर प्रतिबंध/बैन लगा दिया है।

इसकी जानकारी खुद सेबी की चेयरपर्सन, माधवी पुरी बुच ने एक प्रेस कॉंफ्रेंस के दौरान दी। सेबी की चेयरपर्सन ने कहा कि जिन लोगों को हम विनियमित नहीं करते हैं, उन पर हमारा नियंत्रण भी नहीं होता है। ऐसे में गैर-विनियमित फाइनेंशिएल इंफ्लुएंसर से जुड़े संभावित जोखिमों को देखते हुए रेग्यूलेटेड एनटिटी का अन-रजिस्टर्ड एनटिटी के साथ कोई एसोसिएशन नहीं होना चाहिए।

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उन्होंने कहा कि अगर दोनों ऐसे पक्षों में कोई डील होती है तो यह सीधे तौर पर कानून का उल्लंघन होगा। माधवी पुरी बुच के मुताबिक, रेग्यूलेटेड सलाहकार और गैर-रजिस्टर्ड एनटिटी में अंतर को स्पष्ट करने के लिए ही हमनें यह पहल की है। असल में सेबी निवेशकों को यह स्पष्ट करते हुए भरोसा दिलाना चाहता है कि वह पंजीकृत इकाईयों के साथ ही डील कर रहे हैं।

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इस नए नियम का सीधा मतलब यह भी कहा जा सकता है कि अब भारतीय शेयर बाजार में निवेश करने को लेकर लोगों को सिर्फ प्राधिकृत और पंजीकृत व्यक्तियों से ही निवेश संबंधी सलाह प्राप्त करनी चाहिए।

दरअसल ऐसा माना जाता है कि गैर-पंजीकृत फाइनेंशियल इंफ्लूएंसर्स कमीशन-बेस्ड मॉडल पर काम करते हुए कई बार पक्षपातपूर्ण या भ्रामक सलाह भी दे सकते हैं। ऐसे में निवेशकों को भारी नुक़सान व धोखाधड़ी जैसी स्थिति का भी सामना करना पड़ सकता है। इसलिए निवेशकों के हितों को ध्यान में रखते हुए नए नियमावली के अंतर्गत सेबी ये यह कदम उठाया है।

इसके अलावा, डेरिवेटिव सेगमेंट में निवेशकों की बढ़ती गतिविधियों को लेकर सेबी ने भी चिंता जताई है। माधवी पुरी बुच ने इस सम्बंध में उच्च स्तरीय सुरक्षा और सुधार की मांग की है, खासकर उन निवेशकों के लिए जो फ्यूचर्स और ऑप्शंस मार्केट में निवेश करते हैं। ये नए नियम स्पष्ट रूप से शेयर बाजार में स्थिरता और विश्वास को बढ़ाने का प्रयास है, जिससे निवेशक और बाजार के सुरक्षा स्तर में सुधार हो सके।

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