Supreme Court decision to give 5 marks bonus in jobs gets a blow: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने भी हरियाणा सरकार को झटका देते हुए सरकार के फैसले को असंवैधानिक करार दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा में भर्ती परिक्षाओं में सामाजिक-आर्थिक आधार पर 5 नंबरों का अतिरिक्त बोनस देने के सरकार के फैसले को अंसवैधानिक करार दिया है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला सरकार के साथ उन सभी अभ्यर्थियों के लिए भी झटका है, जिन्हें सरकार के इस फैसले के वजह से 2023 में भर्ती परीक्षाओं में लाभ मिला था, राज्य में ऐसे लाभार्थियों की संख्या 23 हजार के पास है।
क्या था हरियाणा सरकार का फैसला?
राज्य सरकार ने कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट ( CET ) में 1.80 लाख सालाना इनकम वाले परिवारों के लोगों को परीक्षाओं में 5 नंबर बोनस यह यू कहें आरक्षण दिया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के इस फैसले को अंसवैधानिक करार दिया है। आपकों बता दे, पहले यह आरक्षण पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। जिसके खिलाफ हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (HSSC) ने सुप्रीम कोर्ट में 4 अपीलें दायर की थी। सोमवार (24 जून 2024) सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस एसबीएन भट्टी द्वारा मामले की सुनवाई की और सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार के इस फैसले को संविधान के विरुद्ध कार्य बताया।
हाईकोट ने बताया आर्टिफिशियल आरक्षण
हरियाणा सरकार के द्वारा आर्थिक और सामाजिक आधार में 5 अंक बोनस के रूप में दिए जाने के फैसले को लेकर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने इसे एक प्रकार का अतिरिक्त आरक्षण देना जैसा बताया था। हाई कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि, राज्य सरकार ने आर्थिक पिछड़े आधार के तौर में पहले ही आरक्षण दे रखा है, तो यह आर्टिफिशियल आरक्षण श्रेणी क्यों बनाई गई।
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कोर्ट ने अपनी टिप्प्णी में सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए कहा था कि, सरकारी नियुक्ति में किसी फायदे को एक राज्य के लोगों तक सीमित नहीं रखा जा सकता , संविधान का अनुच्छेद 15 और 16 के अनुसार नीति निर्देशक पूरे देश में समान रूप से लागू होता है। आपकों बता दे, हरियाणा सरकार के फैसले का लाभ 2023 में ग्रुप डी और सी की भर्ती में राज्य (Supreme Court decision to give 5 marks bonus in jobs gets a blow) के परिवार पहचान पत्र वाले अभयर्थियो को इसका लाभ मिला था, जिसके बाद कई अन्य अभयर्थियो ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ आवाज उठाई थी।