‘Commissioned Mother’ six months leave: केंद्र सरकार ने 50 साल पुराने नियमों को बदलकर केंद्रीय महिला कर्मचारियों जो ख़ुद मां बनने में सक्षम नहीं है पर उन्हें सेरोगेसी के ज़रिए मां बनने की इच्छा व्यापत है, पंरतु नौकरी की जिम्मेदारी होने की वजह से वह अब तक पीछे हटती रही है, ऐसी महिला शासकीय कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है।
जी हां! केंद्रीय सिविल सेवा (अवकाश) नियमावली 1972 में बदलाव करके ‘कमीशंड मदर’ को बच्चे की देखभाल के लिए 6 महीने का मातृत्व अवकाश देने का प्रावधान किया गया है, इसके साथ ही पुरुष कर्मचारियों के लिए भी केंद्र सरकार की ओर से सौगात देते हुए, सेरोगेसी के जरिए पिता बनने वाले पुरुष भी ‘अधिष्ठाता पिता’ (कमीशंड फादर) कहलाएंगे और वह 15 दिन का पितृत्व अवकाश देने का प्रावधान किया है।
सिर्फ़ इन्ही महिलाओं और पुरुषों को मिलेगी छुट्टी
केंद्र सरकार ने अपने उन सभी सरकारी कर्मचारियों को यह राहत प्रदान की है, जो सेरोगेसी के जरिए पैरेंट बनने के लिए इसलिए तैयार नही हो पाते थे कि उन्हें बच्चें के देखभाल और नौकरी के बीच सामंजस्य स्थापित करने में परेशानी का सामना करने की चिंता सताती थी। हालांकि सेरोगेसी के मामले में सरकार ने मातृत्व अवकाश में एक शर्त भी रखी है, सरकार उन्ही सरकारी कर्मचारियों को अवकाश प्रदान करेगा जिसके दो से कम बच्चे जीवित हैं। यह दोनों (महिला -पुरुष) कर्मचारियों में लागू होगा।
गौरतलब हो, अभी देश में मां बनने के लिए महिलाओं (सरकारी कर्मचारियों) को कानूनन 6 महीने की मैटरनिटी लीव मिलती है, इसमें एम्प्लॉयर के लिए महिलाओं को 6 महीने का पूरा वेतन देना अनिवार्य होता है। अब मैटरनिटी लीव की (‘Commissioned Mother’ six months leave) यही सुविधा सेरोगेसी से मां बनने वाली महिलाओं को भी मिलेगी।
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आपकों बता दे, अभी तक देश में सरोगेसी के जरिए बच्चे के जन्म की स्थिति में सरकारी महिला कर्मियों को मातृत्व अवकाश देने के लिए कोई नियम नहीं था, परंतु सरकार ने सेरोगेसी के ज़रिए पेरेंट बनने वाले सरकारी कर्मचारियों की एक बड़ी दुविधा को कम करने का काम किया है।