UGC list of defaulter universities: यूजीसी (यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन) ने देश भर में डिफॉल्टर विश्वविधालयों की सूची जारी की है, इन यूनिवर्सिटी के डिफॉल्टर होने के पीछे जो वजह बताई गई है, उसके मुताबिक कई बार यूजीसी के नोटिस और चेतवानी देने के बाद भी लिस्ट में मौजूद उक्त सभी विश्वविद्यालयों में लोकपाल (Ombudsperson) नियुक्त नहीं किए गए हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यूजीसी ने कुल 108 राज्य विश्वविद्यालय को डिफॉल्टर विश्वविद्यालयों की सूची में शामिल किया गया है, जिन्होंने अब तक विश्विद्यालय में लोकपाल नियुक्त नहीं किया है, इसके अलावा लगभग 47 निजी विश्वविद्यालय और दो डीम्ड विश्वविद्यालय भी डिफॉल्टर विश्वविद्यालयों की सूची में शामिल किए गए हैं।
यूपी में 10 और एमपी में 7 सरकारी यूनिवर्सिटी डिफॉल्टर
लोकपाल नियुक्ति न करने के चलते उत्तर प्रदेश में 10 तो एमपी के 7 सरकारी विश्विद्यालयों को यूजीसी ने डिफॉल्टर घोषित किया है। इन यूनिवर्सिटी में उत्तर प्रदेश में मौजूद अटल बिहारी वाजपेई मेडिकल यूनिवर्सिटी( लखनऊ) बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी झांसी, महाराजा सुहलेदेव स्टेट यूनिवर्सिटी जैसे प्रतिष्ठित नाम शामिल है।
इसके अलावा मध्यप्रदेश में UGC ने पत्रकारिता के लिए विख्यात विश्वविधालय माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (भोपाल), राजा मानसिंह तोमर म्यूजिक एंड आर्ट्स विवि(ग्वालियर), जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय(जबलपुर), मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस विश्वविद्यालय(जबलपुर), राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (भोपाल), नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विवि(जबलपुर), और राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय (ग्वालियर) को डिफॉल्टर लिस्ट में डाला है।
यूजीसी ने जिन प्राइवेट यूनिवर्सिटी को अपनी लिस्ट में लोकपाल नियुक्त न करने के लिए डिफॉल्टर घोषित किया है, उसमें आंधप्रदेश में 2, बिहार में 2, गोवा की 1, गुजरात की 6, हरियाणा की 1, हिमाचल प्रदेश की 1, झारखंड की 1, कर्नाटक की 3, मध्य प्रदेश की 8, महाराष्ट्र की 2, राजस्थान की 7, सिक्किम की 2, तमिलनाडु की 1, त्रिपुरा की 3, यूपी की 4, उत्तराखंड की 2 और दिल्ली की 2 यूनिवर्सिटी को डिफाल्टर (UGC list of defaulter universities) घोषित किया है।
क्या है लोकपाल नियुक्ति?
यूनिवर्सिटी लोकपाल यानी ओम्बड्समैन, वह व्यक्ति होता है जो छात्रों की समस्याओं को सुनकर उनका समाधान निकालने का काम करता है।
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यूजीसी के मुताबिक, हर विश्वविद्यालय को छात्रों की शिकायतों के निवारण के लिए एक लोकपाल नियुक्त करना होता है, लोकपाल के पद पर नियुक्ति सेवानिवृत्त वाइस चांसलर, 10 सालों के अनुभव वाले सेवानिवृत्त प्रोफेसर या पूर्व जिला जज को ही मिलती है।