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यूपी पुलिस और Meta ने मिलकर बचाई 457 लोगों की जान, जानें कैसे?

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UP Police, Meta saved people’s lives: सोशल मीडिया को लेकर ज्यादातर नुकसान की ही खबरें सामने आती है, किसी से ठगी, ब्लैकमेलिंग, विवादित दृश्य या पोस्ट न जानें कैसे -कैसे नकारात्मक कार्यों के लिए सोशल मीडिया का प्रयोग किया जा रहा है, लेकिन आज ऐसी खबर सामने आई है जिसको जानने के बाद आप भी कह उठेंगे किसी भी चीज के दो पहलू होते है सकारात्मक और नकारात्मक ये सिर्फ़ लोगों के उपयोग में निर्भर करता हैं।

सोशल मीडिया का एक ऐसा ही सकारात्मक पहलू सामने उत्तरप्रदेश से समाने आया है, जहा उत्तरप्रदेश पुलिस ने मेटा की मदद से बीते 18 महीनों में 457 लोगों की जान बचाई है।

अब आप सोचेंगे कैसे? तो दरअसल हम आपकों बता दे, इन सभी लोगों ने सोशल मीडिया पर आत्महत्या से जुड़े पोस्ट डाले थे, जिसके बाद अलर्ट मिलने पर पुलिस ने इन सभी लोगों को खुदकुशी करने से बचा लिया।

यूजर्स की Meta अलर्ट से बची जान

सोशल मीडिया प्लेटफार्म यूजर्स जब सोशल प्लेटफार्म का उपयोग करते है, तब मेटा यूजर्स की एक्टिविटी में नजर रखता है जब कोई संवेदनशील पोस्ट या कोई एक्टिविटी करता है तो उसकी अलर्ट सूचना सीधे पुलिस के पास पहुंच जाता है। मेटा कंपनी से अलर्ट मिलने के बाद पुलिस परिजनों से बात करती थी और फिर इन लोगों तक पहुंचती थी, प्राप्त जानकारी के मुताबिक 1 जनवरी 2023 से 15 जून 2024 तक पुलिस ने कुल 457 लोगों की जान बचाई है, इनमें 353 पुरुष और 104 महिलाएं शामिल हैं।

अलग अलग उम्र के लोग की बची जान

उत्तर प्रदेश पुलिस ने जिन लोगों को मेटा अलर्ट के माध्यम से बचाया उनकी उम्र अलग अलग वर्ग की थी। रिपोर्ट के मुताबिक, 457 लोगों में से 176 लोगों की उम्र 13 से 18 वर्ष के बीच की थी. इन 176 में 125 पुरुष और 51 महिलाएं हैं। बचाएं गए लोगों में 50 लोग ऐसे हैं, जिनकी उम्र 26 से 35 वर्ष के बीच है, इन 50 लोगों में 36 पुरुष और 14 (UP Police, Meta saved people’s lives) महिलाएं हैं।

वही सबसे अधिक संख्या 19 से 25 वर्ष के बीच के लोगों की है, जिनकी कुल संख्या 203 थी, इसमें 152 पुरुष और 51 महिलाएं को मेटा अलर्ट के बाद आत्महत्या करने से रोका गया।

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गौरतलब हो, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसी लोकप्रिय सोशल मीडिया ऐप जिसका स्वामित्व मेटा के पास है, इसमें कोई व्यक्ति आत्महत्या से संबंधित पोस्ट करता है तो मेटा कंपनी के मुख्यालय की ओर से यूपी पुलिस की सोशल मीडिया सेंटर को तत्काल फोन और ईमेल के जरिए अलर्ट भेजा जाता है। इसके बाद सोशल मीडिया डेस्क को तत्काल पोस्ट करने वाले की लोकेशन मिल जाती है, वह संबंधित लोकेशन के थानों में संपर्क करके इसकी जानकारी देकर आत्महत्या करने वाले लोगों की जान बचा लेते थे।

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