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SBI ने दिया बड़ा झटका, अब देनी पड़ सकती है अधिक EMI, महंगा हुआ लोन

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SBI Hikes Lending Rates: देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक, भारतीय स्‍टेट बैंक (SBI) अपने करोड़ों ग्राहकों को एक बड़ा झटका देने जा रहा है। असल में भारतीय स्‍टेट बैंक ने होम लोन के ब्‍याज दर में एक बार फिर बढ़ोतरी की है, जिसका सीधा असर लोन लेने वाले ग्राहकों की जेब पर देखनें को मिल सकता है। हाल में भले भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में कोई बदलाव न किए हों, लेकिन कुछ बैंकों ने लोन पर ब्‍याज बढ़ाना शुरू कर दिया है।

इसी क्रम में अब भारतीय स्‍टेट बैंक यानी SBI का नाम भी शामिल हो गया है। भारतीय स्‍टेट बैंक की ओर से अलग-अलग समयावधि के लिए मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) की दर में 10 बेसिस प्वाइंट या BPS में 0.1% की बढ़ोतरी की गई है। इस कदम के चलते अब बैंक के ग्राहकों को बढ़ी हुई ईएमआई दरों का भी बोझ सहना पड़ सकता है।

SBI Hikes Lending Rates

माना जा रहा है कि SBI के इस निर्णय के बाद अब मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) से जुड़े सभी तरह के लोन की EMI बढ़ जाएगी। इसका सीधा सा मतलब यह है कि अब संबंधित ग्राहकों को अपने लोन पर हर महीने पहले से ज्‍यादा EMI चुकानी होगी। वैसे MCLR को छोड़कर अन्य बेंचमार्क पर आधारित लोन लेने वाले इस दायरे में नहीं आएंगे।

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SBI की वेबसाइट में जारी अपडेट के मुताबिक, मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) की नई दर 15 जून से लागू हो जाएगी। इन नई दरों के तहत एक साल का MCLR पहले के 8.65% से बढ़कर अब 8.75% हो जाएगा। इतना ही नहीं बल्कि ओवर-नाइट MCLR में भी वृद्धि होगी जो 8% से बढ़कर 8.10% हो गया है।

बता दें, दो साल की MCLR भी 0.1% बढ़कर 8.75% से 8.85% हो गई है, वहीं 3 साल की MCLR भी 8.85% से बढ़कर 8.95% हो गई है।वहीं बात की जाए एक महीने और तीन महीने के MCLR की तो यह अब 8.20% से बढ़कर 8.30% हो गया है। इस बीच छह महीने की MCLR भी 8.55% से बढ़कर 8.65% तक पहुँच गया।

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आँकड़ो को देखा जाए तो अधिकतर लोग एक साल की MCLR दर से संबंधित होते हैं। भारत में होम और ऑटो लोन समेत ज्‍यादातर रिटेल लोन अधिकतर एक साल की MCLR दर से जुड़े होते हैं।

गौर करने वाली बात ये भी है कि 1 अक्टूबर, 2019 से ही SBI समेत देश के सभी बैंक सिर्फ एक्सटर्नल बेंचमार्क जैसे आरबीआई के रेपो रेट या ट्रेजरी बिल यील्ड से जुड़ी ब्याज दर पर कर्ज देते आ रहे हैं। असल में इस कदम को बैंकों के लिहाज़ से मोनेट्री पॉलिसी ट्रांसमिशन को लेकर लाभदायक बताया जाता है। MCLR में बढ़ोतरी से RBI रेपो रेट या ट्रेजरी बिल यील्‍ड जैसे बाहरी बेंचमार्क से जुड़े कर्ज लेने वाले ग्राहकों पर कोई असर नहीं पड़ता है।

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