TATA group and Vivo deal 2024: भारत सरकार के दबाव के चलते चीनी कम्पनी Vivo india में जल्द भारतीय कंपनियों की हिस्सेदारी बढ़ सकती है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार चीन की ऑटोमोबाइल और मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों पर भारतीय साझेदार बनाने के लिए दबाव बना रही है, इसी के चलते चीनी कंपनियां भारतीय साझेदार की तलाश कर रही हैं।
टाटा समूह आया सामने
सुई से हवाई जहाज तक बनाने वाली देश की सबसे भरोसेमंद कंपनी टाटा ने चीनी कम्पनी वीवो के साथ सौदे में दिलचप्सी दिखाई है, दरअसल मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि, टाटा समूह और वीवो के बीच बातचीत एडवांस स्टेज में पहुंच चुकी है और वैल्यूएशन को लेकर चर्चा चल रही है।
टाटा समूह ने Vivo की वैल्यूएशन को लेकर जो ऑफर चीनी कम्पनी को दिया है, उसे लेकर अभी चीनी ऑटोमोबाइल और मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी सन्तुष्ट नहीं है, कंपनी ने और अधिक वैल्यूएशन की मांग की है। हालांकि इस डील को लेकर टाटा ग्रुप की ओर से रुचि दिखाई जा रही है, ऐसे में यह (TATA group and Vivo deal 2024) सौदा पूर्ण होने की संभावना है।
टैक्स और मनी लांड्रिंग की चल रही जांच
चीनी कम्पनी Vivo के ऊपर टैक्स चोरी और मनी लांड्रिंग जैसे आरोप लगे है,जिसको लेकर कंपनी की जांच भी चल रही है। भारत सरकार ने कंपनी के स्वामित्व को लेकर मंशा साफ कर दी है, भारत में चीन की मोबाइल कंपनी का 51 फीसदी हिस्सा किसी भारतीय कंपनी के हाथ में ही होना चाहिए और मोबाइल हैंडसेट का निर्माण व वितरण ज्वाइंट वेंचर के तौर पर ही किया जाएगा।
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अभी फिलहाल में चीनी कम्पनी Vivo का विनिर्माण का काम भारतीय कंपनी भगवती भगवती प्रोडक्ट (Micromax) देखेगी, जिसने ग्रेटर नोएडा में बनी नई प्रोडक्शन यूनिट के लिए हायरिंग भी शुरू कर दी है, यह भारतीय कंपनी चीन की ह्वाकीन (Huaqin) के साथ ज्वाइंट वेंचर बनाने की तैयारी में हैं। इस वेंचर को भारत सरकार की अप्रूवल का इंतजार है।