Delhi Water Crisis: दिल्ली वालों को इस गर्मी में भी दोहरी मार का सामना करना पड़ रहा है। एक तो पहले से ही इस साल गर्मी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए लोगों को बेहाल कर रखा है, उस पर दिल्ली में पानी की किल्लत ने दिल्लीवासियो के लिए एक अलग चुनौती खड़ी कर रखी है। कुछ ही दिनों पहले हिमाचल प्रदेश की ओर से थोड़ी राहत के संकेत मिले थे, लेकिन अब वो उम्मीद भी टूटती नजर आ रही है।
जी हाँ! जल संकट के बीच दिल्ली वालों के लिए बुरी खबर है। कुछ ही दिन पहले सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली के लिए 137 क्यूसेक पानी छोड़ने की बात कहने वाली हिमाचल सरकार ने अब यू-टर्न ले लिया है। दिल्ली के लिए पानी छोड़े जाने के ताजा जवाब में हिमाचल सरकार ने अपने हाथ खड़े कर दिए हैं।
#WATCH | Delhi: People queue up near a water tanker to fill water in Chanakyapuri’s Vivekananda Camp as water crisis continues in the National Capital. pic.twitter.com/XX7Pg83gaC
— ANI (@ANI) June 13, 2024
Delhi Water Crisis
असल में हिमाचल प्रदेश सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि उसके पास दिल्ली को देने के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है। दिलचस्प है कि कुछ ही दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश को दिल्ली के लिए लगभग 137 क्यूसेक अतिरिक्त पानी देने का आदेश दिया था। इतना ही नहीं बल्कि अदालत के निर्देश के बाद अपने हलफनामे में हिमाचल प्रदेश की सरकार ने जल्द पानी छोड़ने की बात कही थी।
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लेकिन अब हिमाचल सरकार अपनी ही बात से पलटती दिखाई पड़ रही है। शीर्ष अदालत में हिमाचल सरकार की ओर से गुरुवार को यह कहा गया कि उसके द्वारा दायर हलफनामे में कुछ गलती हो गई थी, जिसमें अब वह बदलाव करना चाहती है। इस रुख के चलते सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल सरकार को फटकार भी लगाई।
दरअसल हिमाचल प्रदेश ने पहले की सुनवाई में लिखित तौर पर सुप्रीम कोर्ट को यह बताया था कि इसने राजधानी के लिए पानी छोड़ दिया है। लेकिन बात में मौखिक रूप से राज्य सरकार के वकील ने कहा कि हिमाचल अतिरिक्त पानी छोड़ने के लिए तैयार हैं। लेकिन आज गुरुवार को अदालत में हिमाचल प्रदेश की ओर से कहा गया कि उनके पास देने के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है।
इस पर अदालत की ओर से नाराजगी भी जाहिर की गई। अदालत के अनुसार, हिमाचल की ओर से ही 137 क्यूसेक अतरिक्त पानी देने की बात कही गई थी। लेकिन इतने संवेदनशील मामले में हल्का जवाब दिया गया। कोर्ट ने सख्ती टिप्पणी करते हुए कहा कि ‘आप पर कोर्ट की अवमानना का मुकदमा क्यों न चलाया जाए?’
इस पर हिमाचल सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने अदालत से माफी माँगी और कहा कि वह हलफनामा दाखिल कर अपने जवाब को रिकॉर्ड से वापस लेंगे। हिमाचल सरकार की ओर से कोर्ट में यह भी कहा गया कि उनकी नियत सही थी लेकिन जो जवाब उनकी ओर से दाखिल किया गया, उसमें कुछ कमियाँ रह गई थीं, उसको ठीक करते हुए कोर्ट के सामने रिकॉर्ड पर रखा जाएगा। बता दें अदालत ने इसकी इजाज़त दे दी है।
लेकिन इस दौरान अदालत ने यह साफ किया कि राज्यों के बीच यमुना के पानी का बंटवारा एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा है और अदालत के पास वो तकनीकी विशेषज्ञता नहीं है, जिसके आधार पर इस पर कोई फैसला किया जा सके। ऐसे में कोर्ट की ओर से इस मामले को तय बोर्ड/निकाय पर छोड़े जाने की बात कही गई, जिसका गठन विभिन्न पक्षों में समझौते के बाद साल 1994 में जल्द विवादो के निपटारे हेतु ही किया गया था।
इतना ही नहीं बल्कि अदालत ने अपर यमुना रिवर बोर्ड में दिल्ली सरकार को पानी की सप्लाई के लिए एक याचिका दायर करने के लिए भी कहा है, अगर अब तक सरकार ने ऐसा नहीं किया है तो। इस मामले में बोर्ड को जल्द से जल्द बैठक कर कोई फैसला लेने की भी बात कही गई है।