Northern Lights phenomenon in the sky: 2003 के बाद एक बार फिर धरती में सौर तूफान ने दस्तक दी है, इसके चलते तस्मानिया से लेकर ब्रिटेन तक आसमान में तेज बिजली कड़की। पिछले बार आए तूफान ने धरती के स्वीडन और दक्षिणी अफ्रीकी देशों को संकटों में डाला था वही इस बार के सौर तूफान की वजह से रूस, यूक्रेन, जर्मनी, स्लोवेनिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में ऑरोरा बोरेलिस जैसे देशों में प्रभाव पड़ने का अंदेशा जताया जा रहा हैं।
क्या है सौर तूफान?
नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के अंतरिक्ष मौसम अनुमान केंद्र के अनुसार, कई कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) के चलते धरती पर यह तूफान आता है। उल्लेखनीय है कि सूर्य की सतह से प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र के निकलने को कोरोनल मास इजेक्शन कहा जाता है। सौर तूफान धरती पर चुंबकीय क्षेत्र को प्रभावित करते हैं और इसके असर से ऊर्जा केंद्रों को नुकसान होने की आशंका बनी रहती हैं।
हालांकि इस सौर घटना के दौरान धरती के आसमान में एक बेहद रंगीन घटना भी घटती है, सौर तूफान की वजह से आसमान का रंग रंगीन हो जाता है। जिसे वैज्ञानिक भाषा में ‘औरोरा’ या नॉर्दर्न लाइट्स नाम से संबोधित करते हैं। इससे कई रंगों से सजा आसमान दिखाई पड़ता है। इस बार भी ऐसा ही कुछ नजारा रूस, यूक्रेन, जर्मनी, स्लोवेनिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में ऑरोरा बोरेलिस का बड़ा नजारा देखने को मिला। आपको बता दे इससे (Northern Lights phenomenon in the sky) पहले नजारा 2005 में आसमान में नजर आया था।
तूफान से संभावित नुकसान?
पूर्व में 2003 में सौर तूफान धरती से टकराया था, तब तूफ़ान का नाम हैलोवीन रखा गया था। इस तूफान की वजह से पूरे स्वीडन की बिजली व्यवस्था ठप हो गई थी वही दक्षिण अफ्रीका में पावर ग्रिड्स को भारी नुकसान हुआ था।
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इस बार आए तूफान को लेकर रीडिंग यूनिवर्सिटी में अंतरिक्ष भौतिकी के प्रोफेसर मैथ्यू ओवेन्स का कहना है कि सौर तूफान का असर सबसे ज्यादा धरती के उत्तरी और दक्षिणी अक्षांशों पर महसूस किया जाएगा, लेकिन वे कितनी दूर तक फैलेंगे यह तूफान की अंतिम ताकत पर निर्भर करेगा। अमेरिका में उत्तरी कैलिफोर्निया और अलबामा जैसे राज्यों में इस सौर तूफान का असर दिखेगा।