More than 60 rivers of Bihar dry up: भारत के कई राज्यों में जल संकट धीरे धीरे बढ़ता जा रहा है, देश में ऐसे कई इलाक़े है जहां आज भी पीने के पानी के लिए लोगों को मीलों पैदल चलकर जाना पड़ता है। वही देश में जहा पानी के संसाधन पर्याप्त रूप से मौजूद थे, वह आम लोगों की लापवाही और सरकार की उदासीनता ने एक बड़ी समस्या को खड़ा करने का काम किया है।
ऐसा ही एक मामला बिहार से प्रकाश में आया है, जहां करीबन 60 नदियां अपने अस्तिव की लड़ाई लड़ रही हैं। जिस वजह से बिहार में भी पानी के संकट की स्थिति दिनों दिन बढ़ती जा रही है। बिहार में नदियों की स्थिति इतनी अधिक खराब हो चुकी है कि, अभी ठीक से गर्मी पड़ी भी नही है और कई नदियों का सूखने का सिलसिला प्रारंभ हो चुका है।
बिहार में जल संकट की स्थिति
बिहार जैसे राज्य में जहा गंगा का वास है, वह जल संकट की स्थिति साल दर साल बढ़ते जा रही है और इस साल यह स्थिति अपना विकराल रूप ले चुकी है। बिहार में जलस्रोत की स्थिति की बात की जाए तो एक ओर जहां पोखर से नदी तक सूख रही है, वहीं भूजल स्तर भी अपने रिकार्ड गिरावट पर पहुंच चुका है। राज्य में कुआं, तालाब, आहर-पईन के सूखने का सिलसिला जारी है, नहरों में पानी नहीं है। इन जल स्रोतों में पानी पहुंचने के रास्ते More than 60 rivers of Bihar dry up) अतिक्रमण कर अवरुद्ध कर दिए गए हैं, इस कारण इनमें पानी का भंडार नहीं हो पा रहा है।
60 से अधिक नदियां पानी को तरसी
जहां खुद नदियां पानी का साधन होती है वह खुद ही पानी के लिए तरस उठी है, नदियों में अतिक्रमण और अन्य प्रकार की मानव निर्मित आपदाओं के चलते बिहार में 60 से अधिक नदियां अप्रैल के शुरुआत में ही सुख चुकी हैं। इन नदियों में पानी की जगह दूर-दूर तक रेत नजर आ रहे हैं। नदी की तलहटी पर घास झाड़ी उग आये हैं, यह पहली बार है जब अप्रैल में ही नदियों में पानी नहीं है।
फल्गू, गूवाया, कंचन, ठोरा, छाड़ी, सोन, धनखड़, सांसी, धनायन, अदरी, केशहर, मदाड़, झिकरिया, सुखनर, कर्मनाशा, कुदरा, सुअवरा, दुर्गावती, कमला धार, नूना, पुनपुन, बनास, अधवारा, खिरोई, झरही, अपर जैसी राज्य की 60 से ज्यादा नदियों में पानी का नामों निशान नहीं बचा हैं।
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अस्तित्व की लड़ाई नदियों की, दुष्प्रभाव भी सामने
नदियों के सूखे जानें के बाद अब उसके दुष्प्रभाव भी सामने आने लगे हैं। बिहार में कई जिलों में जलसंकट की स्थिति उत्पन्न होने लगी है, राज्य की राजधानी पटना का भूजल स्तर ही 50 फुट नीचे चला गया है। राज्य में कई क्षेत्रों के जलस्तर नीचे जाने से चापाकल ( हैंडपंप) बंद होने लगे हैं। बिहार के कोसी जैसा इलाका जलसंकट से जूझ रहा है। क्षेत्र में कई इलाकों के लोगों को पलायन करके अन्य जगह अपने मवेशियों के लिए पानी का संसाधन खोजने जाना पड़ रहा हैं।