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भारत सरकार का निर्देश, ’10 मिनट’ में डिलीवरी के दावे को साबित करें कंपनियाँ: रिपोर्ट

भारत सरकार का निर्देश, ’10 मिनट’ में डिलीवरी के दावे को साबित करें कंपनियाँ: रिपोर्ट

  • Blinkit, Instamart, Zepto आदि को साबित करने होंगे अपने दावे
  • केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने माँगा इन डिलीवरी-टाइम का डेटा
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Indian Govt Asks Quick Commerce Firms To Prove 10-Minute Delivery Claims: देश में तेजी से बढ़ रहे क्विक-कॉमर्स ट्रेंड या कहें तो 10-15 मिनट में डिलीवरी सर्विस को लेकर एक बड़ी अपडेट सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने क्विक-कॉमर्स प्लेटफार्मों से 10 मिनट के भीतर डिलीवरी करने के उनके दावों को साबित करने के लिए कहा है।

यह जानकारी MoneyControl की एक हालिया रिपोर्ट के हवाले से सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार Blinkit, Swiggy Instamart, Zepto और Big Basket जैसे क्विक-कॉमर्स वाणिज्य प्लेटफार्मों को औसत डिलीवरी समय और क्विक-डिलीवरी के बारे में उनके दावों व सेवाओं से संबंधित अपने-अपने डेटा को साझा करने के लिए कहा गया है।

Indian Govt Asks Quick Commerce To Prove Delivery Claims

रिपोर्ट में एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के हवाले से यह कहा गया है कि इन तमाम क्विक-कॉमर्स प्लेटफार्मों को बेंगलुरु, मुंबई, दिल्ली, कोलकाता और चेन्नई जैसे प्रमुख शहरों में अपने औसत डिलीवरी समय का डेटा शेयर करने के लिए कहा गया है।

वैसे यह भी माना जा रहा है कि सरकार की ओर से इन कंपनियों को किसी तरह का कोई बदलाव करने को नहीं कहा जाएगा। लेकिन अगर दिए गए डेटा के अनुसार, क्विक-कॉमर्स के डिलीवरी दावे सही नहीं निकलते तो शायद उन्हें अपने प्लेटफ़ॉर्म को लेकर किए जाने वाले प्रचारों में संदेश को बदलना पड़े।

असल में आज के समय सभी दिग्गज क्विक-कॉमर्स कंपनियाँ लगभग 10 मिनट के भीतर डिलीवरी का दावा करती हैं। ऐसे दावे पिछले काफी समय से देश के भीतर एक बड़ी बहस का कारण भी रहे हैं। कुछ लोग मानते हैं कि यह दावे पूरी तरह से सच नहीं हैं और कुछ का कहना रहता है कि डिलीवरी पार्टनर्स पर ऐसे वादों के चलते दबाव बढ़ता है और वह कई बार ट्रैफ़िक नियमों को ताक पर रख डिलीवरी करते नजर आते हैं।

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इस खबर के सामने आने के बाद, जानकारों का कहना है कि अगर केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण को इन कंपनियों के दावे असल डेटा से मिलते नजर नहीं आते, तो इन्हें अपने बारे में संदेश को बदलने के लिए कहा जा सकता है। अगर वाक़ई में ’10 मिनट या उससे कम’ समय में औसत डिलीवरी सच साबित नहीं होती तो हो सकता है कि कंपनियों से इस संदेश को बदलकर ‘5 मिनट या उससे कम’ में डिलीवरी जैसे विकल्पों का इस्तेमाल करने के लिए कहा जाए।

वैसे सामने आ रही जानकारी के मुताबिक, सरकार ने पहले से ही आंकलन को लेकर ‘चार मिनट’ का बफर भी जोड़ा हुआ है। मतलब ये कि अगर 10 मिनट के बजाए 14 मिनट में भी डिलीवरी हो रही होगी तो वह अधिक दिक्कत की बात नहीं होगी। लेकिन अगर इससे भी अधिक देरी पाई जाती है तो संदेशों व विज्ञापनों में बदलाव करने पड़ सकते हैं।

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