US Report On CAA: भारत में पहले से ही काफी विवाद का रूप ले चुके नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर अब एक बड़ी अपडेट सामने आई है। अमेरिकी संसद की एक स्वतंत्र शोध इकाई ने इस संबंध में एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें CAA और इसके प्रावधानों को लेकर कुछ गंभीर टिप्पणियाँ की गई हैं। रिपोर्ट में यह कहा जा रहा है कि भारत में इस साल लागू किये गये नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के कुछ प्रावधान असल में भारतीय संविधान का उल्लंघन भी हो सकता है।
अमेरिकी संसद की एक इकाई द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में ऐसा जिक्र एक बड़ी बहस छेड़ता दिखाई पड़ रहा है, वह भी ऐसे समय में जब दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र कहे जाने वाले भारत में अगली सरकार चुनने के लिए मतदान हो रहे हैं। ऐसे में लोकसभा चुनावों के बीच CAA जैसे मुद्दे पर अमेरिका की ओर से आई ये टिप्पणियाँ काफी अहम हो जाती हैं।
America (US) Report On CAA
अमेरिकी कांग्रेस की एक स्वतंत्र शोध शाखा – कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (CRS) की ओर से एक संक्षिप्त ‘इन फोकस’ नामक रिपोर्ट जारी की गई है। इस रिपोर्ट में भारत में इस वर्ष लागू किए गए CAA के प्रमुख प्रावधानों के बारे में बात की गई है। इसमें कहा गया कि CAA भारत के तीन पड़ोसी देशों के 6 धर्मों के अप्रवासियों को नागरिकता देने का प्रावधान करता है, लेकिन मुसलमानों को इससे बाहर रखना भारतीय संविधान के कुछ अनुच्छेदों का उल्लंघन मालूम होता है।
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रिपोर्ट में कहा गया कि भारत सरकार द्वारा नियोजित राष्ट्रीय नागरिक पंजीयन (NRC) और CAA जैसे क़ानूनों से देश के लहभग 20 करोड़ मुस्लिम अल्पसंख्यकों के अधिकारों को खतरा पैदा हो सकता है। यह भी कहा गया कि CAA का विरोध कर रहे लोगों का आरोप रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एक हिंदू बहुसंख्यकवादी, मुस्लिम विरोधी एजेंडे को बढ़ावा देने का काम कर रही है, जिसके चलते भारत की आधिकारिक रूप से मान्य धर्मनिरपेक्ष गणराज्य की छवि धूमिल होती है।
इतना ही नहीं बल्कि इस रिपोर्ट में CAA के प्रावधानों को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानदंडों और दायित्वों तक का उल्लंघन बताया गया है। आपको बता दें कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस या CRS असल में अमेरिकी कांग्रेस (संसद) की एक स्वतंत्र रिसर्च इकाई है, जो वहाँ की संसद के सदस्यों से मिलकर बनी होती है और विभिन्न विषयों या मुद्दों पर रिपोर्ट तैयार करके, उसको पेश करती है।
वैसे दिलचस्प यह भी है कि सीआरएस रिपोर्ट को अमेरिकी संसद की आधिकारिक रिपोर्ट के तौर पर नहीं लिया जाता है। ऐसे में भारत सरकार और सीएए का समर्थन करने वालों का कहना है कि इस इकाई द्वारा पेश की गई रिपोर्ट का मूल आधार ‘मानवीय पहलू’ हो सकता है। पर इस रिपोर्ट में यह भी जिक्र किया गया है कि साल 2019 के दौरान अमेरिकी राजनयिक ने CAA के प्रावधानों को लेकर चिंता व्यक्त की थी।
CAA के बारे में
CAA एक ऐसा कानून है, जिसके तहत 31 दिसंबर 2014 तक बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भारत आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई को भारतीय नागरिकता दी जा सकेगी। दावा किया जाता है कि इन धार्मिक अल्पसंख्यक शरणार्थियों को उत्पीड़न आदि से बचाने के लिए ये कदम उठाया गया है। वैसे देश के कुछ राज्यों जैसे असम, मिज़ोरम आदि में यह लागू नहीं होता है।