BJP Mukesh Dalal won unopposed from Surat Lok Sabha seat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लोकसभा चुनावों में 400 प्लस का दावा कर रही भाजपा के लिए गुजरात से एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है।
जी हां! गुजरात के सूरत से भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी मुकेश दलाल निर्विरोध ही सूरत लोकसभा में विजयी हुए है। कांग्रेस प्रत्याशी के नामांकन रद्द होने के चलते भाजपा के प्रत्याशी मुकेश दलाल निर्विरोध रूप से जीतने की दहलीज में खड़े है। चूंकि कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी का नामांकन सूरत लोकसभा से रद्द हो चुका है और बाकी अन्य 9 अलग अलग प्रत्याशियों ने अपने नाम वापिस लेने की घोषणा कर चुके हैं।
कांग्रेस प्रत्याशी का नामांकन रद्द
इससे पूर्व भाजपा प्रत्याशी से मुख्य मुकाबला करने वाले कांग्रेस के प्रत्याशी निलेश कुम्भानी का नामांकन पत्र रद्द कर दिया था, जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी के नामांकन के प्रस्तावको के चुनाव अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत न होने की वजह बताई जा रही हैं। कांग्रेस पार्टी के प्रस्तावको को लेकर यह भी खबर निकलकर आई जिन लोगों के हस्ताक्षर प्रस्तावक के तौर में फॉर्म में दर्ज किए गए थे, उनके असली होने में चुनाव अधिकारी ने संशय जताया था। इसके अलावा चुनाव आयोग अधिकारी की ओर से कहा गया है, कांग्रेस उम्मीदवार कि ओर से जिन प्रस्तावकों का नाम दिया गया था उन्होंने अपने हलफनामों में कहा है कि उन्होंने फॉर्म पर खुद हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
बसपा प्रत्याशी गायब, बाकी ने लिए नामांकन वापिस
सूरत लोकसभा सीट से अब सिर्फ़ भाजपा का प्रत्याशी मुकेश दलाल ही एकमात्र प्रत्याशी बचे है, जहा लोकसभा सीट से 8 प्रत्याशी ने अपना नामांकन वापिस ले लिया है, वही एक अन्य बसपा पार्टी के प्रत्याशी प्यारेलाल के गायब होने के बाद सभी के कलेक्टर कार्यालय में उपस्थित होकर नामांकन पत्र वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
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सुरेश पडसाला का भी नामांकन रद्द
कांग्रेस पार्टी से ही एक अन्य नामांकन सुरेश पडसाला का भी रद्द किया गया है, जिसे लेकर कांग्रेस ने बीजेपी के ऊपर गंभीर आरोप लगाए है। कांग्रेस ने भाजपा के ऊपर उनके प्रस्तावकों का अपहरण करने का आरोप लगाया है, इसके अलावा (BJP Mukesh Dalal won unopposed from Surat Lok Sabha seat) कांग्रेस की ओर से चुनाव अधिकारी को अभी फॉर्म पर हस्ताक्षर हुए हैं या नहीं, इसकी नहीं बल्कि अपहरण की जांच करने की बात कही है। इस संबंध में कांग्रेस नेता और वकील बाबू मांगुकीया ने कहा कि हस्ताक्षर टेली किए बगैर फॉर्म रद्द करना गलत है, प्रस्तावकों के हस्ताक्षर सही हैं या गलत उसकी जांच के बगैर फॉर्म रद्द करना गलत है।