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दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में बिना फीस दिए होंगे अब ये काम? DDA की याचिका खारिज – रिपोर्ट

DDA petition rejected in Supreme Court

DDA petition rejected in Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें डीडीए ने प्राइवेट स्कूलों को अपने संसाधनों के विकास के लिए डीडीए के लिए शुल्क लेने की अनुमति मांगी गई थी। हिंदुस्तान की एक रिपोर्ट के अनुसार अब सुप्रीम कोर्ट ने उक्त याचिका को ख़ारिज कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद दिल्ली में स्थित कई निजी स्कूलों के संचालकों में खुशी की लहर आई है, फैसले के बाद निजी स्कूलों का दावा है कि कोर्ट के इस फैसले के बाद स्कूलों में एडमिशन के समय होने वाली मारामारी कम होंगी और दिल्ली के करीब 1.5 लाख अतिरिक्त छात्रों के प्रवेश का रास्ता सुगम होगा।

डीडीए ने लगाया था शुल्क

DDA (Delhi Development Authority) ने स्कूलों में अतिरिक्त निर्माण के लिए 2021 के मास्टर प्लान के तहत FFR (Floor area ratio) का उपयोग करने के लिए 2008 को स्कूलों के आवंटन के समय जमीन की कीमत का 10% जमा करने के आदेश जारी किए गए थे। इसके खिलाफ़ निजी स्कूलों की एक संस्था ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने स्कूलों के पक्ष में फैसला दिया था।

सुप्रीम कोर्ट से भी याचिका ख़ारिज

DDA ने इस संबंध में और हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए संसाधन (अतिरिक्त बिल्डिंग निर्माण या फ्लोर निर्माण) के लिए निजी स्कूलों से शुल्क लिए जानें की अनुमति मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी (DDA petition rejected in Supreme Court)  उक्त याचिका को खारिज कर दिया है, सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस पी. एस नरसिम्हा और अरविंद कुमार की बेंच ने दिल्ली हाईकोर्ट के 2021के फैसले को यथावत रखा है।

सुप्रीम कोर्ट ने उक्त मामले में दोनों पक्षों की दलील को सुनने के बाद कहा कि कोर्ट मामले में हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने के इच्छुक नहीं है। आपकों बता दे, दिल्ली हाईकोर्ट ने उक्त मामले में सुनवाई करते हुए डीडीए के खिलाफ़ फैसला देते हुए कहा था कि, यदि निजी स्कूलों के द्वारा संसाधनों का विकास ( बिल्डिंग निर्माण, फ्लोर निर्माण) के लिए अतरिक्त एफएफआर का उपयोग किया जाता है तो DDA (Delhi Development Authority) इसके लिए किसी भी प्रकार का शुल्क लेने का हकदार नहीं है।

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गौरतलब हो, दिल्ली में जमीनों की भारी कमी है, इसके चलते योजनाकारों ने दिल्ली में बढ़ती जनसंख्या के हिसाब से स्कूलों की संख्या को बढ़ाने के लिए पहले से संचालित निजी स्कूलों में ही संसाधनों को बढ़ाए जाने सुझाव दिया था, जिसमें DDA ने एफएआर पॉलिसी को लागू किया था,कोर्ट ने इसके खिलाफ़ फैसला देकर अब स्कूलों में संसाधन बढ़ाने के रास्ते के साथ छात्रों के प्रवेश के लिए भी रास्ता खोला है।

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