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रामदेव की मुश्किलें बढ़ी, सुप्रीम कोर्ट ने खारिच किया माफीनामा, मिलेगी सजा?

रामदेव की मुश्किलें बढ़ी, सुप्रीम कोर्ट ने खारिच किया माफीनामा, मिलेगी सजा?

  • पतंजलि केस में सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख
  • SC ने ठुकराया रामदेव, बालकृष्ण का माफ़ीनामा
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Supreme Court Ramdev Apology Case: पतंजलि को भ्रामक विज्ञापनों के मामले में देश की सर्वोच्च अदालत के सख्त रूख का सामना करना पड़ रहा है। कंपनी के संस्थापक रामदेव और बालकृष्ण के माफीनामे को भी आज सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। अदालत का कहना रहा कि इन लोगों ने तीन-तीन बार कोर्ट के आदेशों की अनदेखी की है। इस गलती के लिए इनकों नतीजे भुगतने होंगे।

इतना ही नहीं बल्कि अदालत ने इस भ्रामक विज्ञापन मामले को लेकर केंद्र सरकार को भी फटकार लगाई है। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि इस मामले में वह केंद्र सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि अब वह इस मामले में और उदार नहीं होना चाहती है।

Supreme Court Ramdev Apology Case:

आपको बता दें इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति ए अमानुल्लाह की पीठ द्वारा की जा रही है। आज सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि कागज पर इस माफी को अदालत स्वीकार करने से इनकार करती है। कोर्ट ने इसे जानबूझकर किया गया उल्लंघन माना है। बताते चलें, 2 अप्रैल को हुई सुनवाई में पतंजलि की ओर से लिखित माफीनामा जमा किया गया था।

इस मामले में आज कोर्ट की ओर से कई सख्त टिप्पणियाँ भी सुनने को मिली। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा;

“हमारे आदेश के बाद भी (उल्लंघन किया गया)? हम इस मामले में इतना उदार नहीं होना चाहते। इस हलफनामें को हम ठुकरा रहे हैं। यह सिर्फ एक कागज का टुकड़ा है। हम अंधे नहीं हैं! हमें सब दिखता है।”

दिलचस्प रूप से कोर्ट की इस टिप्पणी को लेकर पतंजलि की ओर से केस लड़ रहे मुकुल रोहतगी ने कहा कि लोगों से गलतियां होती हैं। लेकिन इस पर भी अदालत ने सख्ती दिखाते हुए कहा, “फिर बार बार गलतियाँ करने वालों को भुगतान भी करना पड़ता है। तकलीफ भी उठानी पड़ती है।

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कोर्ट ने कहा कि ऐसे लोग आयुर्वेद दवाओं का कारोबार करने वाली कई पुरानी कंपनियाँ भी हैं। अदालत का मखौल बनाया जा रहा है। कोर्ट ने आगे कहा;

“इनका (पतंजलि) कहना है कि उनके विवादित विज्ञापन का मकसद लोगों को आयुर्वेदिक दवाओं से जोड़े रखना है। यह ऐसी बात है कि मानो ये दुनिया में आयुर्वेदिक दवा लाने वाले पहले व्यक्ति हैं।”

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को भी फटकार लगाते हुए पूछा कि लाइसेंसिंग निरीक्षकों ने कार्रवाई क्यों नहीं की? इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट की ओर से तीन ड्रग्स लाईसेंसिंग अधिकारियों को सस्पेंड किए जाने की बात भी कही गई।

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