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अरुण गवली की समय से पहले होगी रिहाई, कोर्ट से मिली राहत, इस मामले में हुई थी सजा?

Arun Gawli released from jail?: डैडी नाम से मशहूर महाराष्ट्र का गैंगस्टर और नेता अरुण गवली जेल से समय से पूर्व रिहा किया जा सकता है। अरुण गवली शिवसेना विधायक की हत्या के आरोप में नागपुर जेल में उम्र कैद की सजा काट रहा है।

नागपुर जेल में लंबे समय से कैद माफिया डॉन और नेता अरुण गवली ने अपनी सजा को लेकर नागपुर हाईकोर्ट बैंच में दया याचिका लगाई थी, जिसे अब मंजूरी मिल चुकी है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार न्यायमूर्ति विनय जोशी और न्यायमूर्ति वृषाली जोशी की खंडपीठ ने अरुण गवली की याचिका को स्वीकार कर लिया है।

पहले एक याचिका हो चुकी ख़ारिज

माफिया डॉन और नेता अरुण गवली की पूर्व में लगाई याचिका को खारिज कर दिया था, जिसकी जानकारी खुद उनके वकील ने दी। पहले लगाई गई याचिका को कोर्ट ने सरकार की एक अधिसूचना विशेष रूप से मकोका के तहत दोषी को नीति के लाभ से बाहर रखने के आधार में (Arun Gawli released from jail?) खारिज की थी। कोर्ट ने तर्क दिया कि 2006 की अधिसूचना यह स्पष्ट करती है कि एनडीपीएस, टाडा, एमपीडीए आदि कानूनों के तहत दोषी 2006 के नीतिगत लाभों के हकदार नहीं हैं।

69 साल का हो चुका माफिया डॉन

अरुण गवली की उम्र 69 साल हो चुकी है, उसने जेल में अपनी सजा के तौर में 16 वर्ष से अधिक का समय बिता चुका है, जिसका जिक्र उसने अपनी कोर्ट में मांगी दया याचिका में की है। कोर्ट में डॉन और नेता अरुण गवली के वकील ने सरकार के उस आदेश का हवाला देकर याचिका की गुहार की है, जिसमें कहा गया है कि जिन कैदियों की 14 साल की सजा हो चुकी है और उम्र 65 साल को पार कर गई है, उनको रिहा किया जा सकता है। कोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुए सरकार को माफिया डॉन और नेता अरुण गवली की रिहाई पर चार सप्ताह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है।

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फ़िल्म बन चुकी है, डॉन के ऊपर

मूल रूप से मुंबई के रहने वाले और दगड़ी चॉल के डॉन के रूप में खूंखार 69 वर्षीय अरुण गवली की जिंदगी से प्रेरित कई फिल्मों का निर्माण किया जा चुका है। 2015 में रिलीज हुई मराठी फिल्म ‘दगड़ी चाल’ में मकरंद देशपांडे ने अरुण गवली का किरदार निभाया था और इसके अलावा 2017 फिल्म ‘डैडी’ का मुख्य किरदार अरुण गवली की कहानी से ही प्रेरित था। इस फिल्म में अरुण गवली का किरदार ‘अर्जुन रामपाल’ ने निभाया था।

गौरतलब हो, शिव सेना नेता कमलाकर जामसांडेकर की हत्या के  आरोप में 2006 में अरुण गवली को गिरफ्तार किया गया था, मुकदमा चला, दोषी पाया गया और 2012 में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। वह वर्ष 2004 से 2009 तक निर्वाचित विधायक था।

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