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SBI ने इलेक्टोरल बॉन्ड से संबंधित ये जानकारी देने से किया इनकार, जानें क्या है वो?

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SBI refuses electoral bonds information: सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना में जारी चुनावी चंदा जानकारी सार्वजनिक करने के लिए एसबीआई को फटकार लगाते हुए जानकारी चुनाव आयोग के साथ साझा करके हलफनामा कोर्ट में देने के लिए कहा था, जिसके बाद SBI ने जानकारी शेयर करते हुए कहा था उसने सारी जानकरी शेयर कर दी है, लेकिन लगता है इतनी जल्द चुनावी बॉन्ड संबंधित मामले को लेकर एसबीआई का पीछा छुटने वाला है।

अब नई खबर के अनुसार SBI ने एक आरटीआई आवेदन के जरिए मांगी जानकारी देने से मना कर दिया है। मिली जानकारी के अनुसार,अंजलि भारद्वाज नाम की एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने सूचना के अधिकार (Right To Information) कानून के तहत दायर आवेदन में चुनावी बॉन्ड की बिक्री और उन्हें भुनाने को लेकर एसबीआई की अधिकृत शाखाओं को जारी एसओपी का विवरण मांगा था, जिसे एसबीआई ने देने से इंकार कर दिया है। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने आरटीआई के जवाब में व्यावसायिक गोपनीयता के तहत दी गई छूट का हवाला देते हुए यह जानकारी देने से मना कर दिया है।

एसबीआई के डिप्टी जनरल मैनेजर एम कन्ना बाबू द्वारा 30 मार्च को दिए गए जवाब में बैंक ने कहा है कि एसओपी आंतरिक दिशानिर्देश थे और उनसे संबंधित जानकारी को आरटीआई कानून की धारा 8(1)(डी) के तहत जारी करने से छूट दी गई है।

सूचना के अधिकार में 8(1)( D) में प्रावधान

सूचना के अधिकार कानून का सेक्शन 8 (1)(d) कमर्शियल कॉन्फिडेंस, ट्रेड सीक्रेट्स या इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी समेत ऐसी सूचनाओं की जानकारी का खुलासा नहीं करने की छूट देता है, जिन्हें उजागर करने से किसी थर्ड पार्टी को नुकसान हो सकता है। ऐसी जानकारी का खुलासा सिर्फ तभी किया जा सकता है, जब कम्पीटेंट अथॉरिटी को भरोसा हो कि जनहित को ध्यान में रखते हुए उस जानकारी को उजागर करना जरूरी है।

SBI refuses electoral bonds information

हालांकि आरटीआई कार्यकर्ता ने इस मामले को लेकर ऊपर अपीलीय अधिकारी के पास जाने की बात कही है, आरटीआई कार्यकर्ता के अनुसार उन्हें एसबीआई के द्वार दिए गए ऐसे जवाब को लेकर हैरानी है, उनके अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक बताकर रद्द कर दिया है, बल्कि उसकी बिक्री और रिडेंप्शन से जुड़ी सारी जानकारी सार्वजनिक करने का स्पष्ट निर्देश भी जारी किया है।

SOP से प्राप्त जानकारी से पता चलेगा कि बैंक को चुनावी बॉन्ड की बिक्री और रिडेंप्शन के बारे में सरकार की तरफ से किस तरह के निर्देश दिए गए थे, साथ ही यह भी पता चलेगा कि इस प्रक्रिया के दौरान बैंक को चुनावी बॉन्ड की बिक्री और रिडेंप्शन के बारे में कौन सी जानकारियां, किस रूप में स्टोर और मेंटेन करने को कहा गया है।

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गौरतलब हो, 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश देते हुए नरेंद्र मोदी सरकार की चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित करते हुए इसे रद्द करते हुए इसके संबंध में सभी जानकारी सार्वजनिक करने का फैसला सुनाया था। इस दौरान एसबीआई ने जानकारी सार्वजनिक करने में असमर्थता व्यक्त किया था जिसके बाद शीर्ष अदालत ने मामले को लेकर सख्ती दिखाई थी कोर्ट की सख्ती के बाद एसबीआई ने चुनावी बॉन्ड संबंधित चंदे की जानकारी चुनाव आयोग के साथ साझा की थी।

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