Supreme Court currently bans government’s ‘Fact Check Unit’:केंद्र सरकार का आईटी संशोधन कानून नोटिफिकेशन को सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसला आने तक रोक लगा दी है। बता दे, केंद्र सरकार ने 20 मार्च 2024 को आईटी (संशोधन) कानून के तहत फैक्ट चेक यूनिट के नियम लागू करने की अधिसूचना जारी की थी। सरकार के इस फैसले को लेकर कुछ संगठनों ने विरोध किया था साथ ही बॉम्बे हाईकोर्ट में इसके विरोध में एक याचिका दायर की थी।
इस मामले में संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले तक फैक्ट चेक यूनिट के नोटिफिकेशन पर रोक लगाने का आदेश दिया है।
क्या है मामला!
दरअसल सरकार के द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफार्म में डाले गए कंटेंट की निगरानी के लिए एक यूनिट की गठन करने की बात की गई है, जो सोशल मीडिया प्लेटफार्म (इंस्टाग्राम, फेसबुक,एक्स) जैसे अकाउंट में डाले गए कंटेंट की निगरानी कर सकें,जो अपनी मर्जी या किसी अन्य व्यक्ति की शिकायत के आधार में अपने विवेक के आधार में उसे गलत या आपत्ति जनक बताने का अधिकार प्रदान करता है। फैक्ट चेक यूनिट की आपत्ति के बाद उस कंटेंट या पोस्ट को सोशल मीडिया से हटाना होगा और इंटरनेट से उसका यूआरएल भी ब्लॉक करना होगा। ये यूनिट को काननून अधिकार देता हैं।
फैसले के खिलाफ संगठनों का विरोध
सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन को लेकर कई संस्थाओं ने विरोध दर्ज किया है, इसके साथ केंद्र सरकार के आईटी संशोधन फैसले के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए इस फैसले (Supreme Court currently bans government’s ‘Fact Check Unit’) को असंवैधानिक और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया गया।
EGI is deeply concerned by amendment to IT Rules 2021 made by MEITY, giving authority to PIB to determine veracity of news reports, and directing online intermediaries and social media platforms to take down content deemed as ‘fake’. Guild feels this is akin to censorship. pic.twitter.com/uy49cOwTcT
— Editors Guild of India (@IndEditorsGuild) January 18, 2023
बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर करते वाले स्टैंड अप कॉमेडियन कुणाल कामरा, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन और एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजीन जैसी संस्थाएं थी।
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सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
सरकार के आईटी कानून संशोधन नियमों को लेकर मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने बॉम्बे उच्च न्यायालय के 11 मार्च के आदेश को रद्द कर दिया, जिसने केंद्र सरकार के बारे में सोशल मीडिया पर फर्जी और गलत सामग्री की पहचान करने के लिए संशोधित आईटी नियमों के तहत FCU की स्थापना पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में विशेष रूप से अनुच्छेद 19(1)(ए) के संबंध में, FCU की अधिसूचना पर रोक लगाने का फैसला किया, जो स्वतंत्र भाषण के अधिकार की गारंटी देता है।
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