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घटने जा रही है भारत समेत 97% देशों की आबादी? नई रिसर्च में खुलासा

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Figures presented on population decline worldwide, report of The Lancet Journal: द लैंसेट जर्नल में सोमवार (18 मार्च 2024) को एक रिसर्च पब्लिश करते हुए एक चौकाने वाला जनसंख्या दर को लेकर दावा किया है। यह रिसर्च विश्वभर में जनसंख्या वृद्धि को लेकर नही दुनिया भर में जनसंख्या दर के घटने को लेकर बड़ी चिंता जाहिर करती है।

रिसर्च में दुनिया भर में घटती आबादी को लेकर चिंता जताई गई है, रिपोर्ट में कहा गया है, दुनिया भर के देशों में प्रजनन दर उनकी आबादी को बनाए रखने के लिए बहुत कम हो जाएगी। इसका मतलब पूरी दुनिया में कम बच्चे पैदा होने से आबादी तेजी से घटने लगेगी।

साल 2100 में कई देशों की जनसंख्या दर घटेगी

रिपोर्ट में बताएं गए डेटा को सही माने तो उसमें कही गई बातों के अनुसार 2100 तक, 204 देशों में से 198 में जनसंख्या कम हो जाएगी और जिन देशों में ज्यादा बच्चे होंगे भी, तो वह देश दुनिया में सबसे गरीब देश होंगे। (Figures presented on population decline worldwide, report of The Lancet Journal) अध्ययन में यह भी पाया गया कि दुनिया भर में 2021 में 12.9 करोड़ बच्चों ने जन्म लिया, जो 1950 में लगभग 9.3 करोड़ से अधिक है, लेकिन 2016 में हुए 14.2 करोड़ के शिखर से कम है।

भारत को लेकर भी चौकाने वाले दावे

भारत में गिरती जनसंख्या दर को लेकर भी रिपोर्ट में आंकड़े प्रस्तुत किए गए है, रिपोर्ट के मुताबिक भारत में प्रजनन दर (fertility rate) 1950 में लगभग 6.2 से घटकर 2021 में 2 के करीब पहुंच गई है। इसके साथ आने वाले समय के लिए अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि यह दर 2050 में और घटकर 1.29 और 2100 में 1.04 हो जाएगी।

कुछ ही देश अपनी जनसंख्या दर बरकरार रखने में कामयाब

भारत में जहां साल 2100 में प्रजनन दर गिरकर 1.04 में पहुंच जाएगी, इसके साथ विश्वभर के कई देश इस समस्या का सामना करेंगे वही कुछ देश ऐसे भी होंगे जो अपनी प्रजनन दर को सामान्य रखने में कामयाब रहेंगे, ऐसे देशों में सोमालिया, टोंगा, नाइजर, चाड, समोआ और ताजिकिस्तान का नाम शामिल हैं।

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गौरतलब हो, रिसर्च में विश्वभर में घटती प्रजनन दर को लेकर भविष्य में वैश्विक अर्थव्यवस्था और शक्ति के अंतरराष्ट्रीय संतुलन पर सीधा फर्क पड़ने की बात कही गई है, इसके प्रभाव सम्पन्न देश आर्थिक विकास को बनाए रखने के लिए संघर्ष करते हैं और गरीब देश अपनी बढ़ती आबादी का समर्थन करने की चुनौती से जूझते हैं। यानी अमीर और गरीब दोनों तरह के देशों को मुश्किलें का सामना करना होगा।

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