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मेदांता प्रमुख डॉ नरेश त्रेहन भी हुए ‘डीपफेक’ का शिकार, फर्जी वीडियो हुआ वायरल

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Image Credit: Wikimedia Commons

Medanta Chief Naresh Trehan Deepfake Video Case: भारत समेत दुनिया भर में ‘डीपफेक‘ टेक एक नई चुनौती बनकर उभरा है। एआई के इस दौर में डीपफेक जैसे टूल्स कई बड़ी समस्याओं का कारण बन रहे हैं। हाल ही में बॉलीवुड से लेकर क्रिकेट जगत तक की कई नामी हस्तियाँ इसका शिकार बनती नजर आई। इसी क्रम में अब मेदांता के प्रमुख डॉ नरेश त्रेहन का भी नाम शामिल हो गया है।

असल में मेदांता अस्पताल के चेयरमैन डॉक्टर नरेश त्रेहन का एक फर्जी प्रमोशनल वीडियो वायरल होने की खबर सामने आई है। इस वीडियो में वह किसी मोटापा घटाने वाली दवा का विज्ञापन करते बताए जा रहे हैं। लेकिन यह वीडियो पूरी तरह से फेंक करार दिया गया है। पूरी संभावना है कि यह एक डीपफेक वीडियो है।

Naresh Trehan Deepfake Video Case

ऐसे में अब गुरुग्राम साइबर पुलिस ने मेदांता के चीफ डॉक्टर नरेश त्रेहन पर बने इस डीपफेक वीडियो के ख़िलाफ FIR दर्ज कर ली है। मामले की जाँच शुरू कर दी गई है। फिलहाल पुलिस ने ‘अज्ञात’ लोगों के ख़िलाफ शिकायत दर्ज की है।

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मीडिया रिपोर्ट्स में सामने आई जानकारी के अनुसार, गुरुग्राम साइबर पुलिस ने सोमवार को साइबर पुलिस स्टेशन (ईस्ट) में यह FIR दर्ज की। इसमें धारा 419और 420 के तहत FIR हुई है, जो मुख्यतः रूप बदलकर धोखाधड़ी आदि से संबंधित हैं।

जानकारी के मुताबिक, इस फर्जी या कहें तो डीपफेक वीडियो में देश के मशहूर डॉक्टरों में से एक नरेश त्रेहन एक टीवी शो में शामिल हुए दिखाई देते हैं, जहाँ वह एक मोटापे की दवा को लेकर लोगों को बता रहे हैं और उसका प्रचार करते हैं।

मेदांता अस्पताल के असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट ऑफ मार्केटिंग के पद पर तैनात हरीश आसवानी ने पुलिस को की गई शिकायत कुछ जानकारियाँ दी हैं। उन्होंने कहा कि यह एक फेक वीडियो है जिसमें गलत ढंग से नरेश त्रेहन के चेहरे का इस्तेमाल करते हुए एक चिकित्सा उपचार को लेकर भ्रामक जानकारी फैलाई जा रही है। खबर ये भी है कि शिकायतकर्ता ने पुलिस को एक वीडियो का लिंक भी साझा किया है।

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जाहिर है ऐसे भ्रामक वीडियो कई मायनों में समाज के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं। लेकिन हाल के दिनों में रश्मिका मंदाना से लेकर सचिन तेंदुलकर की बेटी सारा तेंदुलकर भी डीपफेक का शिकार बन चुकी हैं।

क्या है डीपफेक ?

आसान भाषा में समझने की कोशिश करें तो ‘डीपफेक’ एक तरह का ऐसे कंटेंट (ईमेज, वीडियो या ऑडियो) के रूप में समझा जा सकता है, जिसे मशीन-लर्निंग एल्गोरिदम के तहत तैयार किया जाता है। यह वीडियो या ईमेज आर्टिफिशियल कंटेंट होता है, जिसका मतलब है ये असली नहीं होते, इन्हें कृत्रिम रूप से बनाया जाता है। इसी के चलते इन्हें डीपफेक कहा जाता है, ‘फेंक’ का मतलब हम सब जानते ही हैं, जो असली ना हो।

कहाँ से आया डीपफेक शब्द?

कहते हैं कि डीपफेक (Deepfake) शब्द पहली बार साल 2017 के दौरान ऑनलाइन अस्तित्व में आया। असल में उस दौरान एक Reddit यूजर्स ने खुद के अकाउंट का नाम ही ‘डीपफेक’ रखा था। उस यूजर ने एक अश्लील वीडियो बनाकर पोस्ट किया था। इस वीडियो में उसने किसी अन्य का चेहरा लगा दिया था। इसके लिए उसने गूगल की ओपन-सोर्स व डीप-लर्निंग तकनीक में हेरफेर की थी।

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