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SBI ने बेचे कुल 22,217 इलेक्टोरल बॉन्ड, राजनीतिक दलों ने 22,030 बॉन्ड किए रिडीम, हलफनामे में खुलासा

SBI ने बेचे कुल 22,217 इलेक्टोरल बॉन्ड, राजनीतिक दलों ने 22,030 बॉन्ड किए रिडीम, हलफनामे में खुलासा

  • 1 अप्रैल 2019 से 11 अप्रैल 2019 तक 3346 बॉन्ड को खरीदा गया.
  • 12 अप्रैल 2019 से 15 फरवरी 2024 तक 18,871 बॉन्ड खरीदे गए.
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SBI sold a total of 22,217 electoral bonds: सुप्रीम कोर्ट की सुप्रीम फटकार के बाद स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने मंगलवार (12 मार्च, 2024) शाम को कोर्ट की तय समय सीमा में चुनाव आयोग के साथ राजनीतिक पार्टियों को जारी इलेक्टोरल बॉन्ड से संबंधित दस्तावेज और आंकड़ा पेश कर दिए है।

मिली जानकारी के अनुसार चुनावी बॉन्ड की जानकारी संबंधित दस्तावेजों और आंकड़ों को चुनाव आयोग को 15 मार्च शाम 5 बजे तक पोर्टल पर सार्वजनिक करनी है।

इस संबंध में जनसत्ता ने अपनी एक खबर में, एसबीआई के द्वारा चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़े हलफनामे में बताया कि 1 अप्रैल 2019 से 11 अप्रैल 2019 तक 3346 बॉन्ड को खरीदा गया। इनमें से 1609 बॉन्ड को रिडीम करवाया गया। इसके साथ 12 अप्रैल 2019 से 15 फरवरी 2024 तक 18,871 बॉन्ड खरीदे गए। इनमें से 20,421 बॉन्ड रिडीम करवाए गए।

हलफनामे में अन्य जानकारी

एसबीआई के द्वारा सौंपे गए हलफलाने में दानकर्ता, बॉन्ड नंबर, बॉन्ड का मूल्य और किस राजनीतिक दल द्वारा अब तक बॉन्ड भुनाए गए, इसके ब्योरे से (SBI sold a total of 22,217 electoral bonds) संबंधित सभी दस्तावेज आयोग को मुहैया कराए गए है।

चुनाव आयोग जारी करेगा डेटा

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के लिए स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा है कि एसबीआई द्वारा दी गई हलफनामे की जानकारी चुनाव आयोग को अपनी आधिकारिक वेबसाइट में 15 मार्च शाम तक सार्वजनिक करना होगा। इस जानकारी के सार्वजनिक होने के बाद आम लोगों को इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वालों के नामों का पता, किसने कितने का बॉन्ड खरीदा, ये सब जानकारी सार्वजनिक उपल्ब्ध होगी।

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गौरतलब हो, दो जनवरी, 2018 को केंद्र सरकार द्वार शुरू की चुनावी बॉन्ड योजना को तब झटका लगा जब सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को अपने एक फैसले में इस योजना को असंवैधानिक करार दिया था। इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद-19 के तहत दिए गए ‘सूचना के अधिकार’ का उल्लंघन माना था, और एसबीआई को स्पष्ट निर्देश देते हुए चुनावी बॉन्ड से संबंधित पूरा डेटा चुनाव आयोग के साथ साझा करने का फैसला सुनाया था। इसके साथ ही चुनाव आयोग को भी निर्देश देते हुए इस डेटा को 15 मार्च तक इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा डेटा अयोग की आधिकारिक वेबसाइट में उपल्ब्ध करवाने के निर्देश जारी किए थे।

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